UP में गांव की ओर चला कोरोना, हफ्ते भर के अंदर संक्रमितों की हैरान करने वाली संख्या

लखनऊ. उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण (Corona Infection) की रफ्तार मेट्रो शहरों में धीमी हो रही है. यहां संक्रमण दर कम हो रहा है लेकिन अब धीरे-धीरे इसका प्रकोप छोटे शहरों में तेजी से बढ़ता दिख रहा है. पिछले एक हफ्ते के संक्रमण के आंकड़ों पर गौर करें तो यहां मामले बढ़ते जा रहे हैं. पश्चिम उत्तर उत्तर प्रदेश में सहारनपुर (Saharanpur), अमरोहा, पूर्वांचल में आजमगढ़, देवरिया के साथ ही जालौन, पीलीभीत आदि प्रदेश के कई जिले ऐसे हैं, जहां ग्रामीण क्षेत्र का दायरा बड़ा है और यहां कोरोना संक्रमण के मामलों में तेजी से इजाफा दर्ज किया जा रहा है.

1 मई और 7 मई के कोरोना के नए मामलों में भारी उछाल देखने को मिला है. सहारनपुर में 1 मई को 274 मामले आए थे जबकि 7 मई को यह संख्या बढ़कर 1122 पहुंच गई. इसी तरह आजमगढ़ में जहां 421 मामले सामने आए थे, वहीं 7 मई को 578 मामले पहुंच गए. देवरिया की बात करें तो यहां 1 मई को 239 मामले सामने आए थे लेकिन 7 मई को 579 मामले आए.

पीलीभीत में हफ्ते भर में 127 से बढ़कर रोजाना 521 केस

अमरोहा में 486 मामले 1 मई को आए थे लेकिन 7 मई को 658 मामले सामने आए. जालौन में 286 मामले 1 मई को सामने आए थे जबकि 7 मई को 549 मामले सामने आए. पीलीभीत में 1 मई को 127 मामले सामने आए थे जबकि 7 मई को 521 मामले सामने आए.
प्रदेश के ज्यादातर छोटे जिलों में कोरोना का ग्राफ बढ़ता जा रहा है. इसी वजह से सरकार ने गांव में भारी पैमाने पर टेस्टिंग का अभियान छेड़ रखा है. अब सवाल यह उठता है कि शहरी इलाकों में जब स्वास्थ्य सुविधाओं की भारी कमी है तो गांव में बढ़ती जा रही बीमारी को लेकर लोगों को कैसे मेडिकल हेल्प मिल पाएगी?

सरकार ने भी लगाया अंदाजा, कार्रवाई शुरू

सरकार ने भी शायद इस हालात का अंदाजा लगा लिया है. इसीलिए ग्रामीण इलाकों में बने प्राइमरी हेल्थ सेंटर और कम्युनिटी हेल्थ सेंटर पर स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं. वहां बेड की संख्या बढ़ाई जा रही है और ऑक्सीजन के प्लांट भी ग्रामीण इलाकों में लगाए जाने की शुरुआत की जा रही है.

गांवों को संक्रमण से सुरक्षित रखने के लिए संचालित विशेष जांच अभियान की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि सभी जिलाधिकारी अपने जनपद में आरआरटी की संख्या को बढ़ाकर तीन से चार गुना करने का प्रयास करें. निगरानी समितियों द्वारा हर गांव में प्रत्येक लक्षणयुक्त व्यक्ति की स्क्रीनिंग की जाए. प्रत्येक जिलाधिकारी निगरानी समितियों के माध्यम से लक्षणयुक्त एवं संक्रमण की दृष्टि से संदिग्ध लोगों को मेडिकल किट की उपलब्धता सुनिश्चित करें. निगरानी समितियां मेडिकल किट प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के नाम एवं टेलीफोन नम्बर युक्त सूची भी तैयार करें. यह सूची आईसीसीसी को प्रदान की जाए. आईसीसीसी द्वारा सूची के व्यक्तियों का हाल-चाल प्राप्त करते हुए फीडबैक लिया जाए.

उन्होंने कहा कि आरआरटी द्वारा गांव-गांव पहुंचकर लक्षणयुक्त एवं संक्रमण की दृष्टि से संदिग्ध लोगों की एण्टीजन जांच की जाए तथा उनके स्वास्थ्य की स्थिति के अनुरूप उन्हें अस्पताल, क्वारेंटाइन सेन्टर अथवा होम आइसोलेशन में रखा जाए.

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