किसानों के नाम पर घड़ियाली आंसू बहा रही है कांग्रेस : अमित जोगी

रायपुर। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जोगी) के अध्यक्ष अमित जोगी ने सोमवार को केन्द्र सरकार द्वारा पारित नई कृषि कानून को किसान विरोधी और किसानों के साथ अन्याय करार देते हुए कहा क‍ि कृषि उपज मंडी किसानों के लिए सिर्फ धान खरीदी का एक केन्द्र और मंडी नहीं है, बल्कि कृषि उपज मंडी किसानों का मंदिर है। अमित जोगी ने कहा राम मंदिर बनाने वाले आज किसानों का ही मंदिर को तोड़ना चाहते है। वहीं अम‍ित जोगी ने कांग्रेस पर न‍िशाना साधते हुए कहा क‍ि कांग्रेस सरकार क‍िसानों के नाम पर घड़‍ियाली आंसू बहा रही है। कृष‍ि ब‍िल पर कांग्रेस दोगली नीत‍ि खेल रही है। वर्ष 2012 में यूपीए की सरकार ने राज्‍यों से एमएसपी में संशोधन करने का आग्रह क‍िया था। उन्‍होंने कहा क‍ि धान खरीदी केन्द्र और एमएसपी जो किसानों का मूल आर्थिक आधार है, इस व्यवस्था समाप्त करना चाहते है। अमित जोगी ने कहा केन्द्र सरकार द्वारा पारित कृषि संबंधी तीन कानून किसानों के साथ वादा खिलाफी और धोखा है। इससे किसान पूंजीपतियों का कठपुतली बन जाएगा और खेत का मालिक किसान अब पूंजीपतियों के हाथों नाचेगा।

अमित जोगी ने कहा देश में सर्वप्रथम धान खरीदी की शुरुआत छत्तीसगढ़ के माटी के किसान पुत्र, राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री स्व0 जोगी ने धान का कटोरा कहे जाने वाले नवगठित छत्तीसगढ़ राज्य में ऐसे समय में किया था जब नए राज्य छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था चरमराई हुई थी और तत्त्कालीन प्रधानमंत्री स्व अटल बिहारी बाजपेयी जी ने भी धान खरीदी के लिए राज्य सरकार को एक रुपये भी देने से मना कर दिया था। फिर भी स्व जोगी ने समर्थन मूल्य में किसानों की धान खरीदी की और छत्तीसगढ़ के किसानों का सशक्त और समृद्ध बनाया था। स्व जोगी ऐसे कृषि नीति और निर्णय से छत्तीसगढ़ का किसान खुशहाल था।

अमित जोगी ने कहा छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार के द्वारा केन्द्र की नई कृषि कानून को छत्तीसगढ़ में लागू नहीं करने, इस संबंध में 29 सिंतबर को राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने तथा आगामी विधानसभा सत्र में संसद द्वारा पारित कृषि विधेयकों का विरोध प्रस्ताव लाए जाने के निर्णय को अन्नदाता किसानों के नाम पर राजनीति करने और घड़ियाली आंसू बहाने का आरोप लगाया है। अमित जोगी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी को याद दिलाया क‍ि केन्द्र सरकार के द्वारा जो पारित तीन कृषि कानून में किसानों का मंदिर, कृषि उपज मंडी के स्वामित्व को समाप्त करने और निधारित सर्मथन मूल्य पर आज जो सवाल खड़ा हो रहा हैं उसकी परिकल्पना कभी अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने ही की थी।

उन्‍होंने कहा क‍ि वर्ष 2012 में केन्द्र में जब यूपीए की सरकार थी तब तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने खुद राज्यों से एमएसपी में संशोधन करने को आग्रह किया था। वहीं अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के द्वारा वर्ष 2018 लोकसभा चुनाव के दौरान अपने घोषणा पत्र के खंड 11 में कहा गया है क‍ि कांग्रेस कृषि उपज बाजार समितियों के अधिनियम को निरस्त करेगी और कृषि उपज मंडी में निर्यात और अतंर राज्यीय व्यापार को सभी बाध्यताओं से मुक्त करेगी। वास्तव में यदि कांग्रेस सरकार किसानों की इतनी ही हितैषी है तो अपने जनघोषणा पत्र में किए गए वादों का पूरा क्यों नही करती हैं ? क्यों उनका संपूर्ण कर्जा माफ नहीं कर रही हैं ? क्यों किसानों का एक एक दाना धान नहीं खरीद रही हैं ? यदि कांग्रेस अपने जनघोषणा पत्र में किए गए वादों को पूरा करती हैं तो वैसे ही केन्द्र की कृषि विरोधी कानून छत्तीसगढ़ में निष्प्रभावी हो जाएगी।

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