कांग्रेस और एनसीपी में शिवसेना को लेकर नही बन सकी ‘सहमति’

महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद मुंबई में आज एनसीपी और कांग्रेस नेताओं की बैठक हुई। इसमें महाराष्ट्र में सरकार गठन पर चर्चा हुई। मीटिंग के बाद पत्रकारों से बात करते हुए प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि शिवसेना ने 11 नंवबर को हमसे आधिकारिक तौर पर संपर्क किया था। एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि महाराष्ट्र की राजनीतिक हालात पर हमारी चर्चा हुई.  इतने महत्वपूर्ण मुद्दे पर व्यापक चर्चा हुई। फैसले से पहले सभी पहलुओं पर चर्चा हुई. शिवसेना ने हमसे कल संपर्क किया था।

इसके बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने कहा कि अभी राष्ट्रपति शासन की जरूरत नहीं थी। हम राष्ट्रपति शासन की आलोचना करते हैं। सरकार ने कई राज्यों में मनमानी की। लोकतंत्र और संविधान का मजाक उड़ाने की कोशिश की। राज्यपाल का कांग्रेस को न्यौता न देना गलत है। सबको मौका दिया लेकिन कांग्रेस को नहीं बुलाया गया।

इसके बाद पत्रकारों के सवालों के जवाब देते हुए अहमद पटेल ने कहा कि कल कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्षा का शिवसेना की तरफ से पहली बार आधिकारिक तौर पर फोन किया गया था। लेकिन यह गठबंधन के दूसरे दल से बात किए बिना तय नहीं किया जा सकता था। पहले हमारी बात हो जाए, सारी बातें क्लियर हो जाएं। तब हम शिवसेना से भी बात कर लेंगे। एनसीपी से बात के बाद शिवसेना से बातचीत की कोशिश जल्द होगी। न्यूनतम साझा कार्यक्रम के मुद्दों पर स्पष्टीकरण जरूरी है।

अहमद पटेल के बाद शरद पवार ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि हम दोबारा चुनाव नहीं चाहते हैं। हमारी तरफ से कोई कमियां नहीं, हमने प्रक्रिया शुरू ही की थी। हमने गठबंधन में चुनाव लड़ा, पहले हमारा बात करना जरूरी। हमने कांग्रेस से बातचीत शुरू की. बातचीत पूरी होने के बाद शिवसेना से बात होगी। सरकार बनाना है या नहीं, सरकार बनाने के बाद हमारी नीति क्या होगी इस पर चर्चा जरूरी है। सवालों का जवाब देते हुए शरद पवार ने कहा कि अब तो हमें माननीय राज्यपाल ने बहुत समय दे दिया है।

शिवसेना के साथ सरकार गठन की कठिनाइयों की ओर इशारा करते हुए शरद पवार ने कहा कि हमारा और कांग्रेस का एक कॉमन घोषणा पत्र था, इसलिए हमें अपने कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के बारे में चिंता नहीं है। लेकिन अगर हमें थर्ड पार्टी के साथ सरकार बनानी है तो हमें बैठना पड़ेगा और चर्चा करनी पड़ेगी।

शरद पवार से जब शिवसेना के साथ वैचारिक मतभेद के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जब तक हमलोग साथ आने का फैसला नहीं लेते हैं, इस प्रश्न का सवाल ही नहीं उठता है। एक बार जब हम साथ बैठने का फैसला करते हैं, हमलोग इस बारे में जवाब देंगे।

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