दुमका : परिवारवाद की राजनीति से कांग्रेस व झामुमो कार्यकर्ता हैं त्रस्त : दीपक प्रकाश

दुमका। उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार डॉ लुईस मरांडी के नामांकन कार्यक्रम में मंगलवार को पहुंचे प्रदेश अध्यक्ष सह राज्यसभा सांसदा दीपक प्रकाश ने कहा कि भाजपा उम्मीदवार को जितने का काम करे, भाजपा नेतृत्व बदलने का काम करेगी। उन्होंने कहा कि झामुमो और कांग्रेस परिवारवाद एवं वंशवाद की राजनीति करती है। दुमका और बेरमो उम्मीदवार परिवारवाद से संबंध रखता है। झामुमो और कांग्रेस के कार्यकर्ता रोता है। उनके पसीना मेहनत का फल देने का समय आता है तो कोई सोरेन परिवार का कोई आदमी खड़ा होकर उम्मीदवार बन जाता है। उन्होंने कहा कि झामुमो के कई कार्यकर्ता मिलने आये और कहा अब हद हो चुकी है। उन्होंने कहा कि राज्य में बलात्कार की घटना से लोगों में छटपटाहट
है। उन्होंने कहा कि बढ़ती हत्याएं, आपराधिक घटनाएं एवं नक्सली गतिविधियों को लेकर कहा कि कानून व्यवस्था चरमराई हुई है। भाजपा शासनकाल में नक्सलियों के खिलाफ कसी नकेल को बताते हुए कहा कि राज्य में विकास की शून्यता है। उन्होंने कार्यर्ताओं को मनोबल बढ़ाते हुए कहा कि इतिहास रचने का काम भाजपा कार्यकर्ता ही कर सकते हैं।
झामुमो की वंशवाद की राजनीति चली तो संताल समाज कहां जायेगा: बाबूलाल
पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा कि झामुमो को पहले भी हराने का काम करते आ रही है। उन्होंने कहा कि आप सब लोगों ने पहले ही इतने बड़े-बड़े काम कर चुके है। इसलिए कोई अभेद दुर्ग नहीं है। मरांडी ने कहा कि सच तो यह है कि संताल परगना छोड़ कहीं से चुनाव जीत नहीं सकते है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री रहते शिबू सोरेन मामूली व्यक्ति से तमाड़ का चुनाव हार गए थे । इसलिए वह लोग संताल परगना के घरती को सुरक्षित समझते है। उन्होंने कहा कि यहां से संताल को समझते है कि ये लोग जैसा भी होगा, वोट देंगे ही। संताल परगना के 18 सीट में सात सीट आरक्षित है, जिसमें तीन सीट में जामा से सीता सोरेन, बरहेट से हेमंत सोरेन एवं दुमका से बसंत सोरेन चुनाव लड़ रहे है। सात सीट में से तीन सीट पर शिबू सोरेन का परिवार ही काबिज है। जबकि अन्य बहुएं और बेटा-बेटी बची है। इस तरीके से सभी आरक्षित सीट पर झामुमो के परिवारवाद ही काबिज होगा, तो यहां से संताली समाज के अन्य लोग क्या करेंगे। मरांडी ने कहा कि ये लोग कहते है कि अलग राज्य की लड़ाई लड़ी है, बहुत त्याग और तपस्या किया है। लेकिन याद करें कि जयपाल सिंह ने अलग राज्य की लड़ाई शिबू सोरेन नहीं थे, तब जयपाल सिंह ने लड़ाई लड़ी। उन्हें हेमंत सोरेन याद नहीं करते। असली लड़ाई तो वह लोग लड़े थे।

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