केंद्रीय एजेंसिंयों का उपयोग घरेलू नौकर की तरह कर रही केंद्र सरकार : उद्धव ठाकरे

मुंबई : मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि महाराष्ट्र ही नहीं पूरे देश में केंद्रीय एजेंसियों का उपयोग घरेलू नौकर की तरह किया जा रहा है। देश के किसानों को नक्सलवादी, आतंकवादी , चीनी व पाकिस्तानी बताया जा रहा है जो लोग देश के अन्नदाता किसानों को आतंकवादी बता रहे हैं, वे इंसान कहलाने के हकदार नहीं हैं। केंद्र सरकार के पास राज्य के हिस्से का 28 हजार करोड़ रुपये बकाया है, लेकिन केंद्र सरकार महाराष्ट्र के साथ भेदभाव कर रही है, इसलिए यह बकाया रकम राज्य को नहीं मिल रही है।

 

मुंबई में सोमवार से शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र की पूर्व संध्या पर आयोजित चाय-पान कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे। मौके पर उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ,राजस्वमंत्री बालासाहेब थोरात, नगरविकास मंत्री एकनाथ शिंदे आदि उपस्थित थे।

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि महाराष्ट्र संकट दर संकट के दौर से गुजर रहा है। इसके बाद भी राज्य में विकास कार्य जारी हैं। राज्य में संकट के दौर में भी विपक्ष हर मुद्दे पर राजनीति कर रहा है। विपक्ष का पूरा साल अफवाह फैलाने, सरकार गिराने का प्रयास करने में ही गुजर गया।

 

मुख्यमंत्री ने कहा कोरोना के समय हमें लग रहा था कि विपक्ष कंधे से कंधा मिलाकर जनता की सेवा में सहयोग करेगा, लेकिन कभी मंदिर को लेकर तो कभी मराठा आरक्षण को लेकर विपक्ष सिर्फ राजनीति कर रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब विपक्ष ओबीसी को भड़क रहा है, जबकि राज्य सरकार किसी भी प्रवर्ग के आरक्षण को नुकसान नहीं पहुंचाएगी। मराठा आरक्षण के लिए राज्य सरकार सर्वोच्च न्यायालय में लड़ाई लड़ रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार के कामकाज से सूबे का हर वर्ग खुश व संतुष्ट है, इसकी जानकारी विभिन्न सर्वे ने जारी किया है।

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस कहते हैं कि सूबे में अघोषित आपातकाल लगा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि फडणवीस बताएं कि केंद्र सरकार क्या कर रही है। केंद्र के विरोध में बोलने वालों को जेल में डाला जा रहा है, उन्हें आतंकवादी, नक्सलवादी, देशद्रोही तक बताया जा रहा है। केंद्र सरकार ने तो घोषित आपातकाल लगा रखा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा के नेता केंद्र सरकार के कृषि कानून को यहां सही बता रहे हैं। उन्हें दिल्ली में जाकर किसानों के सामने यह बात करनी चाहिए, उन किसानों को समझाना चाहिए, जिससे किसानों का आंदोलन समाप्त हो सके।

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