कैट ने सरकार से ई-कॉमर्स पॉलिसी जल्द लागू करने का किया आग्रह

नई दिल्‍ली। व्‍यापारियों के शीर्ष संगठन कन्‍फेडरेशन आॉफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से ई-कॉमर्स नीति को जल्‍द लागू करने का आग्रह किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकल पर वोकल और आत्मनिर्भर भारत अभियान के आह्वान को ई-कॉमर्स व्यापार के लिए बेहद महत्वपूर्ण बताते हुए कैट ने कहा कि भारतीय ई-कॉमर्स बाजार को ग्‍लोबल ई-कॉमर्स कंपनियों ने विषाक्त कर दिया है। लेकिन, भारतीय उपभोक्ता ई-कॉमर्स के जरिए ऑनलाइन सामान खरीद रहे हैं। ऐसे में एक मजबूत और बेहतर परिभाषित ई-कॉमर्स पॉलिसी भारत के लिए बेहद जरूरी है, ताकि भारत के छोटे व्‍यवसायों को बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों के कुचक्रों और षड्यंत्रों का शिकार न होना पड़े।

देश में ई-कॉमर्स के तेजी से बढ़ते प्रभाव को देखते हुए कैट अक्टूबर में अपने ई-कॉमर्स पोर्टल भारत ई-मार्किट को लॉन्च करने के लिए पूरी तरह तैयार है। ई-कॉमर्स नीति के साथ कैट ई-कॉमर्स व्यवसाय के सुचारू संचालन एवं देख-रेख के लिए एक ई-कॉमर्स रेग्‍युलेटरी अथॉरिटी के गठन का आग्रह भी वाणिज्‍य मंत्री से किया है, जिसे ई-कॉमर्स नीति का उल्लंघन करने वाली कंपनियों को दंडित करने का पर्याप्त अधिकार हो। कैट ने ये भी कहा है कि ई-कॉमर्स के लिए एफडीआई नीति में कोई छूट की आवश्यकता नहीं है, बल्कि ई-कॉमर्स के लिए एफडीआई मानदंडों को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए।

गौरतलब है कि कैट ने पूर्व में विभिन्न मंचों पर भारत की एफडीआई पॅालिसी में ई-कॉमर्स पर कोई समझौता न करने में सरकार की नीति को जोरदार तरीके से रेखांकित करने के लिए वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल की प्रशंसा करते हुए कहा कि देश के व्यापारियों को इससे उम्मीद बंधी हैं। क्‍योंकि ई-कॉमर्स पालिसी एक समान स्तर की प्रतिस्पर्धा का माहौल बनाएगी। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने ई-कॉमर्स को भविष्य का आशाजनक व्यवसाय बताते हुए कहा कि कोरोना संकट के दौरान लॉकडाउन में ऑनलाइन कारोबार में बड़ी वृद्धि हुई है। इसीलिए परिभाषित मापदंडों और दिशा-निर्देशों के साथ ई कॉमर्स नीति का होना आवश्यक है, जो यह तय करेगी की देश में ई-कॉमर्स व्यापार कैसे चलेगा।

खंडेलवाल ने कहा कि ई-कॉमर्स व्यवसाय जो कोविड-19 से पहले करीब 6 फीसदी था वह बढ़कर अब 24 फीसदी हो गया है। शहरी क्षेत्रों में 42 फीसदी इंटरनेट उपयोगकर्ता अब ई-कॉमर्स के माध्यम से अपनी खरीदारी कर रहे हैं। हालांकि, भारत में दुकानें भारतीय अर्थव्यवस्था में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रहेंगी बशर्ते कि सरकार इसके लिए जरूरी समर्थन नीति जारी करे। खंडेलवाल ने कहा कि भारत में ई-कॉमर्स बाजार 2026 तक 200 बिलियन डॉलर होने की उम्मीद है, जो वर्तमान में लगभग 45 बिलियन डॉलर है। यह वृद्धि देश में इंटरनेट और स्मार्टफोन के इस्तेमाल की वजह से है।

कैट महामंत्री ने कहा कि देश में लगभग 687 मिलियन डिजिटल उपयोगकर्ता हैं, जिनमें से लगभग 74 फीसदी ई-कॉमर्स व्यवसाय में सक्रिय हैं। अगले साल तक कुल इंटरनेट उपयोग बेस 830 मिलियन तक बढ़ने की उम्मीद है। भारत में इंटरनेट अर्थव्यवस्था 2021 तक वर्तमान में 150 बिलियन डॉलर से बढ़कर 250 बिलियन डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है। इंटरनेट से राजस्व जो वर्तमान में लगभग 50 बिलियन डॉलर है वो 2021 तक 120 बिलियन डॉलर होने की उम्मीद है। खंडेलवाल ने कहा कि 2007 में भारत में इंटरनेट की पहुंच महज 4 फीसदी थी, जो 2019 में 52.08 फीसदी हो गई। वहीं, वर्ष 2007 से लेकर 2019 के बीच 24 फीसदी का सीएजीआर दर्ज किया गया।

खंडेलवाल ने कहा कि 5G तकनीक के जल्द ही शुरू होने की उम्मीद में ये संख्या बेहद तेजी से बढ़ेगी, जिससे भारत में तकनीकी क्रांति आएगी और बड़ी संख्यां में लोग डिजिटल कॉमर्स को अपनाएंगे। उन्होंने कहा कि डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया, स्किल इंडिया और इनोवेशन फंड जैसी सरकार की विभिन्न पहलों द्वारा भी ई-कॉमर्स व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। टेक्नॉलॉजी ने डिजिटल पेमेंट, हाइपर-लोकल लॉजिस्टिक्स, एनालिटिक्स से संचालित कस्टमर एंगेजमेंट और डिजिटल विज्ञापनों जैसे नए विचारों को जन्म दिया है, जिससे भी भारत में ई-कॉमर्स व्यापार बढ़ेगा। खंडेलवाल ने कहा कि इन ई-कॉमर्स नीति के अभाव में घरेलू खुदरा व्यापार में शामिल करीब 7 करोड़ से ज्‍यादा छोटे व्यापारी प्रभावित हो रहे हैं। उन्‍होनें कहा कि इसलिए एक ई-कॉमर्स नीति लागू करना बेहद जरूरी है। हालांकि, कैट अक्टूबर में अपने ई-कॉमर्स पोर्टल भारत ई-मार्किट को लॉन्च करने पर सक्रिय रूप से काम कर रहा है, जो व्यापारियों का व्यापारियों द्वारा और व्यापारियों और उपभोक्ताओं के लिए एक अलग तरीके का पोर्टल होगा, जो ऑनलाइन व्यापार के साथ व्यापारियों की दुकानों को भी बड़ा लाभ देगा।

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