बुलडोजर एक्शन पर HC की भयंकर लताड़ ! 10 लाख मुआवजा.. सैलरी से कटेंगे 2 लाख, जानिए किसपर गिरी गाज ?

बुलडोजर का नाम सुनते ही अब सिर्फ निर्माण नहीं, बल्कि न्याय के नाम पर की गई कई विवादास्पद कार्रवाइयों की याद ताजा हो जाती है। देशभर में खासकर उत्तर प्रदेश में बुलडोजर एक्शन ने खूब सुर्खियां बटोरीं। अब उड़ीसा हाईकोर्ट ने इस मुद्दे पर बड़ी और सख्त टिप्पणी करते हुए कार्यपालिका की मनमानी पर सवाल खड़े किए हैं।
गैरकानून ढहाई गई संपत्ति
मामला एक सामुदायिक केंद्र की इमारत से जुड़ा है, जिसे प्रशासन ने बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के बुलडोज कर गिरा दिया। हाईकोर्ट ने इस कार्रवाई को न्यायिक आदेशों की साफ अवहेलना करार देते हुए कहा कि यह संविधान और कानून के शासन के खिलाफ है।
मुआवजा आदेश
उड़ीसा हाईकोर्ट ने इस गैरकानूनी कार्रवाई पर सरकार को फटकार लगाई और आदेश दिया कि पीड़ित पक्ष को 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए। खास बात यह है कि कोर्ट ने यह भी तय किया कि इस राशि में से 2 लाख रुपये संबंधित तहसीलदार के वेतन से वसूले जाएंगे, जिन्होंने यह आदेश दिया था। यह निर्णय प्रशासनिक जवाबदेही तय करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
तहसीलदार से वसूली
कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह कार्रवाई कार्यपालिका की शक्ति का दुरुपयोग है और इससे यह जाहिर होता है कि शासनतंत्र में मनमानी बढ़ती जा रही है। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे कृत्य संविधान द्वारा प्रदत्त न्यायिक प्रक्रिया के खिलाफ हैं।
यूपी से शुरुआत
गौरतलब है कि बुलडोजर जस्टिस की व्यापक शुरुआत उत्तर प्रदेश से हुई थी, जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने अपराधियों और माफियाओं के खिलाफ यह हथियार अपनाया। कई बार इस नीति की तारीफ हुई, लेकिन इसकी कानूनी वैधता पर सवाल भी उठे। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसपर कड़ी टिप्पणी की और राज्य सरकार को फटकार लगाई थी। बावजूद इसके, उत्तर प्रदेश में यह एक्शन आज भी जारी है।
कानून सर्वोपरि
इस निर्णय के माध्यम से उड़ीसा हाईकोर्ट ने न केवल न्यायिक गरिमा की रक्षा की है, बल्कि एक सख्त संदेश भी दिया है कि कोई भी अधिकारी या सरकार कानून से ऊपर नहीं है। न्यायिक प्रक्रिया की अनदेखी करने वालों को जवाबदेह ठहराना अब अनिवार्य है।