बिहार सरकार का ओपन जेल प्रयोग हुआ सफल, पेश किया एक बड़ा उदहारण

बक्सर : बिहार सरकार का यह प्रयोग जो पूरी तरह सफल हो आज देश के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है |हालाकि बिहार से पूर्व मध्य प्रदेश सरकार द्वारा अपनी धरती पर नक्सलियों को लेकर यह प्रयोग किया जा चुका था पर यह सफल नही रहा |बात हम मुक्त कारा (ओपन जेल )के कांसेप्ट की कर रहे है |

23 मई 2012 के दिन बक्सर स्थित गंगा ,ठोरा और कर्मनाशा नदियों के संगम पर बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार द्वारा बिहार में स्थापित मुक्त कारा भवन का उदघाटन किया गया तो आम जनमानस की बात क्या खुद बिहार सरकार को मुक्त करा कंसेप्ट की सफलता को लेकर संसय था पर अपने दृढ इक्छाशक्ति का परिचय देते हुए सरकार ने प्रयोग किया और आज आठ वर्षो के दौरान मुक्त कारा का कंसेप्ट इस कदर सफल रहा की आज देश के कई राज्य पुनः मध्यप्रदेश .झारखंड की राज्य सरकारे अपने धरातल पर मक्त करा के कांसेप्ट को उतारना चाह रही है |अपने वादे के अनुरूप बिहार सरकार द्वारा इन सरकारों को सहयोग भी दिया जा रहा है |

सूबे का एकलौता बक्सर में स्थापित मुक्त कारा परिसर में वन बीएचके के नक्शे पर 102 फ्लेट बनाये गये है |इनदिनों इस मुक्त करा में राज्य भर से चयनित पचास कैदियों को रखा गया है जो अपने परिवार के सदस्यों के साथ रहते है |मुक्त कारा के कैदियों को वे सारी सुविधाए मुहैया कराई जाती है जो अमूमन जेल में बंद कैदियों को नही मिलता |एक तय समय सीमा के अलावे इन कैदियों पर कोई पहरा नही होता जेल से इतर यहाँ के कैदी शहर और समाज के अन्दर खुली हवा में सुबह आठ बजे से साम पांच बजे तक दस किलोमीटर के दायरे में अपने हुनर के अनुरूप कोई भी काम कर कमाई कर सकते है |और अपने परिवार का भरणपोषण कर सकते है |जेल प्रशासन का शर्त यह है कि संध्या पांच से छह के बीच इन्हें करा परिसर के रजिस्टर पर इंट्री हस्ताक्षर करनी होती है | मुख्य प्रवेस द्वार बंद होने के बाद मुक्त करा के भीतर इन पर कोई अंकुश नही होता है।

बिहार सरकार सूबे के जेलों में कैदियों के बढ़ते बोझ इनके रखरखाव में आने वाले खर्च की अधिकता को लेकर प्रयोग के तौर पर मुक्त कारा के कांसेप्ट को लागू किया जो आज सफलता का मानक बन गया है |मुक्त होने के बावजूद कैदी यहा से भगते नही अगर कंसेप्ट के तहत सरकार कैदियों पर भरोषा की है तो यहा के कैदी भी किसी भी स्थिति में सरकार के इस भरोसे को तोड़ते नही आज आठ वर्ष होने को आये पर कैदियों के भागने का एक भी मामला सामने नही आया है |

राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की देखरेख में सूबे के जेलों में बंद कैदियों का चयन कर बक्सर के मुक्त करा में लाया जाता है विधिक सेवा प्राधिकार के एक पैनल द्वारा सूबे के जेलों में बंद सजायाफ्ता कैदियों के आचरण का गहनता से निरक्षण किया जाता है ,जैसे जेल के अंदर उनका व्यवहार क्या है ,जेल प्रशासन के प्रति उनका आचरण क्या है ,अपने द्वारा किये गये अपराध को लेकर उनके अन्दर प्रयाश्चित बोध है कि नही पैनल इन सभी बिन्दुओ पर विचार कर मुक्त करा के लिए कैदियों का चयन करता है |ताकि सजा का शेष समय वे समाजिक सरोकार के बीच गुजार सके |पैनल संगीन जुर्म में बंदी व् पेशेवर जुर्म में सजायाफ्ता कैदियों पर बिचार नही करता |
आज मुक्त कारा बक्सर के बंदी कैदी शहर के भीतर अपने हुनर के अनुरूप दिहाड़ी मजदूरी ,फल सब्जी का ठेला लगाकर यहा तक की कुछ कैदी चिकित्सकीय पेशे के द्वारा समाज से सीधे जुड़े हुए है और अच्छी कमाई कर रहे है |अपने किये गये अपराध बोध के ग्लानी से इतर अब ये शेष जीवन सामाजिक परिवेश में जीना चाह रहे है |असमाजिक शव्द इन्हें कचोटता है |

बक्सर केन्द्रीय कारा के आधिकारिक सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि वर्ष 2018 के दौरान मध्य प्रदेश और झरखंड की सरकारों ने मुक्त कारा के कांसेप्ट को बिहार सरकार से माँगा था |अतः इन कैदियों के दिनचर्या और मुक्त करा के सुरक्षा से संबंधित फाइलों को इन सरकारों को उपलव्ध करा डी गई है |

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