अखिलेश मैदान में तो उनके सिपाही भी मैदान में, जानिए क्यों

 

लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव इस वक्त उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जनपदों के भ्रमण पर लगातार निकले हैं.

  • हाल ही में अखिलेश यादव ने बुंदेलखंड का दौरा किया।
  • इसके बाद बनारस जौनपुर और कानपुर सहित अन्य जिलों का भी दौरा किया।
  • जिस तरीके से अखिलेश यादव ने पहले महीने जनवरी में ही 2022 के चुनाव को देखते हुए मैदान में उतर गए हैं
  • वहीं दूसरी तरफ अखिलेश के सिपाही भी मैदान में उतर रहे हैं.
  • अखिलेश उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जनपदों का जहां भ्रमण कर रहे हैं.
  • तो वहीं दूसरी तरफ अखिलेश के सिपाही भी गली गली मोहल्ले मोहल्ले जाकर समाजवादी पार्टी के कामों को बता रहे हैं.
  • पूरे सूबे में चल रहा है कार्यक्रम :अखिलेश

  • आपको बता दें कि किसान घेरा के माध्यम से समाजवादी पार्टी का पूरे प्रदेश में कार्यक्रम चल रहा है.
  • इस कार्यक्रम में किसान से लेकर ग्रामीणों के बीच में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता और नेता पहुंच रहे हैं.
  • अब देखना यह होगा कि 2022 के चुनाव से
  • पहले समाजवादी पार्टी जनता का मूड कैसे बदलेगी फिलहाल समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं
  • और नेताओं का कहना है कि जो काम 2012 से 17 तक अखिलेश सरकार में हुआ है.

जनता चुनेगी दोबारा सीएम ?

  • उस काम को देख कर जनता अखिलेश यादव को दोबारा मुख्यमंत्री बनाएगी और इस बार का चुनाव धर्म जात पात का ना होकर विकास पर होगा,
  • फिलहाल गोरखपुर से लेकर हरदोई तक अखिलेश के सिपाही मैदान में दिख रहे हैं.
  • गली गली मोहल्ले मोहल्ले जाकर समाजवादी सरकार के कामों को बताने में लगे हुए हैं और बीजेपी के वादों को भी याद दिला रहे हैं.

आपको बता दें कि इससे पहले आज समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के निर्देश पर स्वामी विवेकानंद जी की जयंती मनाई गई.

 

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अध्यात्म को सामाजिक सरोकारों से : Akhilesh Yadav

  • उन्होंने शिक्षा, सेवा, त्याग और समर्पण पर विशेष बल दिया था।
  • उनका राष्ट्रवाद कट्टरता से मुक्त समन्वयवादी है।
  • स्वामी जी मानते थे कि सांप्रदायिकता,
  • असहिष्णुता और जातीयता ने इस देश को बहुत नुकसान पहुंचाया है।
  • उन्होंने आगे कहा कि स्वामी विवेकानंद का कहना था कि,
  • हमे सार्वभौमिक सहिष्णुता पर विश्वास के साथ
  • सभी धर्मो को सच के रूप में हमें स्वीकार करना चाहिए।

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