नीतीश अखिलेश मिल कर 25 सितंबर को बीजेपी के खिलाफ चलाएंगे ये अभियान !

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार  ने भाजपा के साथ रिश्ता तोड़ने के बाद विपक्षी दलों को एकजुट करने में लग गये हैं. दिल्ली दौरे के दौरान विरोधी दल के नेताओं के साथ लगातार मुलाकात कर रहे हैं

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार  ने भाजपा के साथ रिश्ता तोड़ने के बाद विपक्षी दलों को एकजुट करने में लग गये हैं. दिल्ली दौरे के दौरान विरोधी दल के नेताओं के साथ लगातार मुलाकात कर रहे हैं और 2024 के लोकसभा चुनाव में विरोधी दलों को एकजुट कर एक मंच पर लाने की कोशिश कर रहे हैं. इसी कोशिश के तहत 25 सितंबर को हरियाणा के फतहाबाद में पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल चौटाला की जयंती पर विपक्षी दलों का जमावड़ा लगने की संभावना है.
फारूक अब्दुल्ला के भी आने की संभावना
इस अवसर पर आयोजित रैली में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भी शामिल होने की संभावना है. इस रैली में नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला, एसएडी के अध्यक्ष प्रकाश सिंह, सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव, यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव और बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी प्रसाद यादव सहित अन्य विरोधी दल के नेताओं के उपस्थित होने की संभावना है.

विरोधी दल को एकजुट करने कवायद शुरू

इस रैली में लगभग सभी बीजेपी विरोधी दल के नेता एकजुट होंगे और बीजेपी के खिलाफ लोकसभा चुनाव में संयुक्त रूप से एक मंच बनाने की कोशिश करेंगे. दिल्ली में नीतीश कुमार और आईएनएलडी और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला (Omprakash Chautala) के बीच हुई बैठक में इस सभा की रूपरेखा पर चर्चा हुई है. उसके बाद ही सभी विरोधी दल के नेताओं को इस सभा में शामिल होने के लिए आमंत्रण भेजा गया है. सूत्रों का कहना है कि ममता बनर्जी, फारूक अब्दुल्ला, प्रकाश सिंह बादल, मुलायम सिंह यादव, नीतीश कुमार, अखिलेश यादव और तेजस्वी यादव ने सभा में शामिल होने की पुष्टि की है. सभा में शामिल होने के लिए एनसीपी प्रमुख शरद पवार, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव और तेदेपा प्रमुख चंद्रबाबू नायडू को भी सभा में शामिल होने के लिए आमंत्रण भेजा जा रहा है.

भाजपा से अलग होने के बाद पहली बड़ी रैली

बता दें कि नीतीश कुमार के भाजपा (BJP) के साथ नाता तोड़ने के बाद यह विरोधी दलों की पहली बड़ी सभा होगी. अब यह भविष्य ही बताएगा कि नीतीश कुमार की यह कोशिश क्या रंग लाती है. वहीं, दूसरी ओर, तृणमूल कांग्रेस ने यह निर्णय किया है कि विरोधी दल की एकता के मद्देनजर पार्टी बीजेपी विरोधी किसी भी पार्टी के नेता को तृणमूल कांग्रेस में शामिल करने की कोशिश नहीं करेगी और न ही इस बाबत किसी पहल का स्वागत ही करेगी. तृणमूल कांग्रेस का मानना है कि लोकसभा चुनाव के पहले विरोधी दलों का एकजुट होना बहुत ही जरूरी है. तभी बीजेपी को पराजित किया जा सकता है.

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