हैदराबाद: सब्जी-तेल विषय पर हुए अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में CSA के वैज्ञानिकों ने प्रस्तुत किये उत्कृष्ट शोध पत्र

हैदराबाद: सब्जी-तेल विषय पर हुए अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में CSA के वैज्ञानिकों ने प्रस्तुत किये उत्कृष्ट शोध पत्र

हैदराबाद में आयोजित हुए सब्जी-तेलों की अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन में देशभर के संबंधित वैज्ञानिकों ने भाग लिया। इस सम्मेलन में चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के वैज्ञानिकों ने अपने उत्कृष्ट शोध पत्र प्रस्तुत किए। इसके साथ सब्जी तेलों को लेकर अब तक सीएसए द्वारा विभिन्न तिलहनी फसलों की इजाद की गई प्रजातियों की भी जानकारी दी गई।

चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कानपुर के निदेशक बीज एवं प्रक्षेत्र डॉक्टर महक सिंह ने बताया कि सब्जी तेलों की अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन 2020-23 भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली इंडियन सोसायटी ऑफ तिलहन अनुसंधान हैदराबाद एवं भारतीय संस्थान सोयाबीन इंदौर के संयुक्त तत्वावधान में भारतीय तिलहन अनुसंधान संस्थान हैदराबाद (तेलंगाना) में आयोजित की गई। इस पांच दिवसीय सम्मेलन में 18 विभिन्न सत्रों का आयोजन किया गया। जिसमें राई, सरसों, सोयाबीन, सूरजमुखी, अंडी, अलसी, नाइजर एवं तिलहन वृक्षों पर प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों द्वारा ऑनलाइन एवं ऑफलाइन प्रतिभाग किया गया। तथा देश में सब्जी खाद्यान्न तेल की उपलब्धता को बढ़ाने के संबंध में बहुआयामी शोध की जानकारी देते हुए तेलों की गुणवत्ता एवं तेलों के कम प्रयोग के बारे में भी विस्तृत चर्चा हुई।

इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में डॉ मंगला राय पूर्व महानिदेशक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली, डॉ अरविंद कुमार पूर्व कुलपति केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय झांसी, राष्ट्रीय डेयरी विकास के चेयरमैन मनीष शाह, भारत सरकार के ग्राम विकास के निदेशक मनोज आहूजा, आईसीएआर के सहायक महानिदेशक तिलहन एवं डॉ संजीव गुप्ता तथा हैदराबाद के तिलहन संस्थान के निदेशक डॉ आरके माथुर एवं अन्य गणमान्य व्यक्तियों द्वारा अपना बहुमूल्य व्याख्यान दिया गया।

इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का प्रमुख आकर्षण बिंदु राई सरसों की अंतरराष्ट्रीय सेटेलाइट सिंपोजियम पर रहा। जिसमें कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ महक सिंह प्रोजेक्ट लीडर राई-सरसों एवं अन्य देश एवं विदेश के वैज्ञानिकों द्वारा दल के सदस्य के रूप में इस सम्मेलन में प्रतिभाग कर राई सरसों तेल पर विस्तृत चर्चा की गई। महक सिंह द्वारा बताया गया कि प्रथम प्रजाति आरती 11 वर्ष 1936 में कानपुर संस्थान द्वारा विकसित की गई तथा वर्ष 1936 से लेकर वर्ष 2023 तक 33 जातियों का विश्वविद्यालय द्वारा विकास कर भारत सरकार से जनक बीज उत्पादन हेतु उचित कराया जा चुका है। इस सम्मेलन में विश्वविद्यालय के कीट वैज्ञानिक डॉ डीके सिंह एवं प्रभाकर तिवारी द्वारा अपना प्रस्तुतीकरण किया गया।

Related Articles

Back to top button