जानकर हैरान रह जाएंगे, कैसे श्रीलंका में हुआ आइएसआइएस का आतंकी हमला!

 

श्रीलंका में इस्लामिक स्टेट (आइएस) के आतंकी सक्रिय थे। वे हमले की साजिश रच रहे थे। लेकिन इस खतरे को जानते हुए भी इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाये गए। नतीजा ये रहा कि आतंकवादियों ने श्रीलंका में बम ब्लास्ट कर दिये और कई लोगो की जान चली गयी | एक रिपोर्ट में सामने आया कि आइएस के दो फिदायीन ट्रेनिंग लेने के लिए तुर्की और ऑस्ट्रेलिया गए थे। सेंट सेबेस्टियन चर्च में धमाका करने वाला फिदायीन मो. मोहामादू हस्तून तुर्की में ट्रेनिंग के लिए गया था। धमाकों के लिए उसने गैराज में घरेलू सामानों के जरिए 11 बम बनाए थे।

वही कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि श्रीलंका संकट के बेहद करीब था। लोग जानते थे कि आईएस उन्हें निशाना बनाने वाला है। बहुत से लोग हैरान भी थे कि लगातार दी जा रही चेतावनियों को नजरंदाज क्यों किया जा रहा है? कुछ यह भी मानते हैं कि वास्तव में यह सरकार थी, जिसकी वजह से ये खामियां बनीं रहीं और इसी के चलते 251 लोगों की जान इन धमाकों में चली गई।

रिपोर्ट के मुताबिक, 2016 में श्रीलंका के न्याय मंत्री ने सदन में यह जानकारी दी थी कि दो दर्जन से ज्यादा श्रीलंकाई आइएस ज्वाइन कर चुके हैं। उन्होंने कहा था कि यह श्रीलंका के लिए बेहद बड़ा खतरा हो सकता है| इसके कुछ महीनों बाद मुस्लिम कम्युनिटी का एक दल पुलिस अधिकारियों से मिला। इसमें जाहरान हाशमी पर कार्रवाई की बात कही गई थी। जाहरान हाशमी श्रीलंका में आइएस आतंकियों का मुखिया था। अधिकारियों के मुताबिक, जाहरान फिदायीनों में से एक था। श्रीलंका के मुस्लिम प्रतिनिधियों के मुताबिक जाहरान श्रीलंका के बौद्ध, क्रिश्चियन और मुस्लिम ताने-बाने को नुकसान पहुंचा रहा था।

एक हफ्ता पहले की पुख्ता जानकारियों और लगातार चेतावनियों के बावजूद सरकार ने कदम नहीं उठाया, जिसकी वजह से यह घटना घट गई| सदन को आइएस के संबंध में 2016 में जानकारी देने वाले पूर्व न्याय मंत्री विजयदास राजपक्षे ने कहा-” मैं हताश हूं, लेकिन इससे भी ज्यादा मुझे दुख है। मैं आइएस की गतिविधियों को करीब से देख रहा था। मैं जानता था कि आईएस हमले की तैयारी कर रहा है, लेकिन किसी ने मुझे नहीं सुना |”

जाहरान हाशमी का जो वीडियो सामने आया है, उससे जाहिर होता है कि वह बाहरी मदद के लिए अपील कर रहा था। आइएस के झंडे के साथ उसकी तस्वीर भी यही इशारा करती है। इंडोनेशिया में संघर्ष का नीतिगत विश्लेषण करने वाली सिडनी जोंस ने कहा कि इस तरह के बम बनाने के लिए विशेषज्ञता हासिल करना जरूरी होता है। डेटोनेटर्स और जगह का चुनाव करने के लिए महारत चाहिए होती है। लोगों को अपनी जान दे देने के लिए तैयार करने में भी इसी की आवश्यकता होती है। इन सबके लिए आमने-सामने के प्रशिक्षण की जरूरत होती है। आइएस लंबे समय से इसमे लगा हुआ था।

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