ट्विटर ने गंवाई सुरक्षा, अब कंपनी को मिलेगी यूजर की गलती की सजा! जाने पूरा मामला

नई दिल्ली. केंद्र सरकार की तरफ से नए आईटी नियम (IT Rules) सामने आने के बाद से ट्विटर को लेकर चर्चाएं जारी हैं. बीते बुधवार को कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ने देश में इंटरमीडियरी स्टेटस (Intermediary Status) यानि मध्यस्थ का दर्जा खो दिया है. इसके बाद कंपनी के देश में भविष्य और कानून को लेकर कई सवाल खड़े हुए. ऐसे में क्या ट्विटर (Twitter) को कानून से मिली सुरक्षा खत्म हो गई है? यूजर्स के लिए इसका मतलब क्या है? जैसे कई सवालों पर चर्चा जरूरी हो गई है. आइए मौजूदा स्थिति को कुछ पॉइंट्स में समझते हैं-

  • क्या होता है इंटरमीडियरी स्टेट्स?
    मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक, इंटरनेट फ्रीडम फाउंशन ने बताया, ‘इंटरमीडियरी स्टेटस कोई रजिस्ट्रेशन नहीं है, जो सरकार से मिलता है.’ आईटी कानून की धारा 2(1) के तहत इंटरमीडियरी एक व्यक्ति या संस्था होती है, जो जानकारी प्राप्त करती है, स्टोर करती है और प्रसारित करती है या जानकारी प्रसारित करने के लिए सेवा प्रदान करती है. इसमें टेलीकॉम सर्विस, नेटवर्क सर्विस, इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स, सर्च इंजन, ऑनलाइ पेमेंट साइट, ऑनलाइन-नीलामी, ऑनलाइन बाजार और यहां तक कि साइबर कैफे भी शामिल होते हैं.
  • क्या ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म्स इस दर्जे को खो सकते हैं?
    ट्विटर जैसे मध्यस्थों को आईटी एक्ट की धारा 79 के तहत सुरक्षा मिलती है. यह धारा बताती है कि जब तक कंपनी अदालत या दूसरी अथॉरिटीज के कंटेंट हटाने के कानूनी आदेश का पालन करते हैं, तब तक तीसरे व्यक्ति की तरफ से पोस्ट किए गए कंटेंट के लिए प्लेटफॉर्म जिम्मेदार नहीं होगा. आम भाषा में समझें, तो अगर किसी यूजर के ट्वीट के चलते मृत्यु या हिंसा होती है, तो उसके लिए ट्विटर जिम्मेदार नहीं होगा. हालांकि, कानूनी आदेश मिलने के बाद उन्हें कंटेंट हटाना होगा. इसे सेफ हार्बर प्रोटेक्शन कहा जाता है. सरकार के मुताबिक, ट्विटर ने कानून का पालन नहीं करने के चलते यह सुरक्षा खो दी है.
  • क्या सरकार के पास यह दर्जा छीनने का हक है?
    नहीं, यह केवल अदालत तय कर सकते हैं. फिलहाल नए आईटी नियमों को लेकर कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं. व्हाट्सऐप ने सरकार के खिलाफ मामला दर्ज कराया है कि नए आईटी नियमों में शामिल किसी कंटेंट को ट्रेस करने बात मानें, तो एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन खत्म हो जाएगा और यह निजता का उल्लंघन होगा.
  • अब ट्विटर के पास क्या विकल्प हैं और कंपनी ने क्या कदम उठाया है?
    दिल्ली हाईकोर्ट में वरिष्ठ वकील विवेक सूद कहते हैं कि ट्विटर कानूनी रास्ता चुन सकता है और सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट में एक रिट याचिका दायर कर सकता है. इसके संबंध में भारतीय अदालतों में कई याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं. वहीं, ट्विटर के प्रवक्ता ने कहा है, ‘हम इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को हर स्तर की जानकारी दे रहे हैं. एक अंतरिम अनुपालन अधिकारी को बरकरार रखा गया है और जानकारी मंत्रालय के साथ जल्द ही शेयर की जाएगी. ट्विटर नई गाइडलाइंस का पालन करने की पूरी कोशिश कर रहा है.’
  • सरकार का क्या कहना है?
    फिलहाल सरकार की तरफ से इस संबंध में कोई साफ प्रतिक्रिया नहीं आई है कि ट्विटर ने इंटरमीडियरी स्टेटस खोया है या नहीं. 16 जून को आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ट्वीट किया, ‘इस बात को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं कि क्या ट्विटर संरक्षण प्रावधान की हकदार है. इस मामले का सामान्य तथ्य यह है कि ट्विटर 26 मई से लागू हुए मध्यस्थ दिशानिर्देशों का पालन करने में विफल रही है.’ उन्होंने कहा, ‘अगर कोई विदेशी संस्था यह मानती है कि वे भारत में खुद को बोलने की आजादी के ध्वजवाहक के रूप में दिखाकर कानून का पालन करने से बच सकती है, तो यह प्रयास गलत हैं.’

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