पाकिस्तान में हिन्दू मंदिरों की स्थिति बेहद खराब, सुप्रीम कोर्ट द्वारा बना आयोग भी रहा नाकाम

भारत में अल्पसंख्यकों के साथ दुर्व्यवहार की दुहाई देने वाले पाकिस्तान में हिंदुओं की क्या स्थिति है यह किसी से छिपी नहीं और अब खुद पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के बनाए आयोग ने अपनी रिपोर्ट में एक बार फिर से इसका खुलासा कर दिया है।

आयोग की रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान में हिंदुओं के मंदिर कितने बदतर हालात में हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू मंदिरों की स्थिति पर रिपोर्ट देने के लिए डॉक्टर शोएब सदल के नेतृत्व में एक सदस्यीय आयोग गठित किया था। आयोग ने अपनी सातवीं रिपोर्ट 5 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट को दी है।

रिपोर्ट में अफसोस जताया गया है कि ईवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ETPB) हिंदुओं के अधिकांश प्राचीन धर्म स्थलों को संभालने में विफल रहा है।

आयोग ने 6 जनवरी को चकवाल में कटस राज मंदिर और 7 जनवरी को मुल्तान के प्रह्लाद मंदिर का दौरा किया था। रिपोर्ट में पाकिस्तान के 4 सबसे ज्यादा प्रसिद्ध मंदिरों में से दो की जानकारी दी गई है और इनकी तस्वीरें भी रिपोर्ट में संलग्न हैं।

पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने एक सदस्यीय आयोग का गठन किया था। हालांकि, इस आयोग में 3 सहायक सदस्य भी हैं।

रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान में 365 मंदिर हैं जिनमें से सिर्फ 13 के रखरखाव की जिम्मेदारी ETPB ने ली हुई है। वहीं, 65 मंदिर ऐसे हैं जिनकी देखरेख हिंदू समुदाय खुद कर रहा है तो वहीं 287 मंदिरों को भू-माफियाओं के हवाले छोड़ दिया गया है।

रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि 73 साल बीतने के बाद भी ETPB की रुचि सिर्फ प्रवासित अल्पसंख्यकों की महंगी संपत्तियों को कब्जे में लेने में थी।

इतना ही नहीं सैकड़ों कस्बों में अल्पसंख्यक समुदायों के धर्मस्थलों, पूजा स्थलों या अन्य संयुक्त संपत्तियों को भी ETPB अपने कब्जे में ले चुका है।

बता दें कि पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने बीते महीने ही खैबर पख्तूनख्वा में तोड़े गए एक सदी पुराने हिंदू मंदिर को दोबारा बनवाने का आदेश दिया था।

इस मंदिर पर दिसंबर 2020 में भीड़ ने हमला किया था और आग लगा दी थी। इसके बाद पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी शर्मिंदगी झेलनी पड़ी थी।

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