ऐतिहासिक होने के साथ ही दर्द देता है यह दिन, संविधान दिवस पर बोले प्रधानमंत्री

संविधान दिवस के मौके पर संसद के सेंट्रल हॉल में समारोह आयोजित किया गया। इस समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला मौजूद रहे। समारोह की शुरुआत राष्ट्रगान के साथ की गई।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने अपने सम्बोधन में कहा कि आज ही के दिन इतिहास रचा गया था। उन्होंने कहा कि संविधान ने अगर हमें मौलिक अधिकार दिए हैं तो मौलिक कर्तव्य देकर हमें अनुशासित करने की भी कोशिश की है। देश की संप्रभुता को बनाए रखने का दर्शन दिया है। कर्तव्यों की बात ना कर सिर्फ अधिकार की बात करने से असंतुलन पैदा होता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समबोधन

इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी को सम्बोधित करते हुए कहा कि कुछ दिन और कुछ अवसर ऐसे होते हैं जो हमें अतीक के साथ बेहतर काम करने के लिए प्रेरित करते हैं। यह ऐतिहासिक अवसर है। 70 साल पहले हमने विधिवत रूप से संविधान को अंगीकार किया था। हमारा संविधान हमारे लिए सबसे बड़ा और पवित्र ग्रंथ है। 7 दशक पहले संविधान पर इसी हॉल में चर्चा हुई थी। सपनों पर चर्चा हुई, आशाओं पर चर्चा हुई थी।

उन्होंने आगे कहा कि 26 नवंबर साथ-साथ दर्द भी पहुंचाता है जब भारत की महान उच्च परंपराएं, संस्कृति विरासत को मुंबई में आतंकवादियों ने छन्न करने का प्रयास किया। मैं आज उन सभी हुतात्माओं को नमन करता हूँ।

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू का सम्बोधन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने अपने सम्बोधन में कहा कि जो अंतिम पंक्ति में बैठे हैं उनका उत्थान पहले होना चाहिए। अब समय है कि हमें राष्ट्र निर्माण के लिए कर्तव्यों पर फोकस करना चाहिए। देश की संप्रुभता, एकता और अखंडता का सम्मान कीजिए। हम एक हैं, एक देश हैं यही अप्रोच होना चाहिए। विविधता में एकता भारत की विशेषता, अलग भाषा अलग वेष फिर भी अपना एक देश। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वे बाबा साहेब आंबेडकर को नमन करते हैं कि उन्होंने इस ब्युटीफुल, ड्यूटीफुल, माइटीफुल संविधान का निर्माण किया। हमें अपना माइंड देश की सेवा करने पर सेट करना चाहिए।

ख़ास मौके पर हुआ विमोचन

उपराष्ट्रपति के सम्बोधन के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अटल नेशनल यूथ पार्लियामेंट स्कीम पोर्टल का विमोचन किया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस मौके पर एक डिजिटल प्रदर्शनी का उद्धाटन भी किया। इस प्रदर्शनी में संविधान निर्माण से लेकर संविधान बनने तक की पूरी कहानी बताई गई है। संविधान की मूल प्रति भी यहां देखी जा सकती है। इसके साथ ही उपराष्ट्रपति नायडु ने एक किताब का विमोचन किया और उसकी प्रथम प्रति राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेंट की। इसके साथ ही एक डाक टिकट और राज्यसभा के 250वें सत्र के उपलक्ष्य में एक स्मारक सिक्का भी जारी किया गया।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का सम्बोधन

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने सम्बोधन में कहा कि हमारे संविधान में भारतीय लोकतंत्र का दिल धड़कता है। यह हमारा सर्वोच्च कानून है जो हमारा मार्गदर्शन करता रहता है। इस जीवंतता को बनाए रखने के लिए संशोधनों का भी प्रावधान किया गया। 17वीं लोकसभा में 78 महिला सांसदों का चुना जाना हमारे लोकतंत्र की गौरवपूर्ण उपलब्धि है। यह एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तन है। उन्होंने कहा कि हमने विश्व के कई संविधान में उपलब्ध उत्तम नियमों को अपनाया है। हमारा संविधान भारत के लोगों के लिए भारत के लोगों द्वारा निर्मित भारत के लोगों का संविधान है। यह एक राष्ट्रीय दस्तावेज है।

राष्ट्रपति ने कहा कि अधिकार और कर्तव्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। जरूरत इस बात की है कि हम सब अपने कर्तव्यों को निभाकर ऐसी स्थित उत्पन्न करें जहां अधिकारों का प्रभावी संरक्षण हो सके। मानववाद की भावना का विकास करना भी नागरिकों का एक मूल कर्तव्य है। उनके सम्बोधन के बाद समारोह शांतिपूर्वक संपन्न हुआ। समारोह की समाप्ति के साथ ही विपक्ष का विरोध प्रदर्शन भी समाप्त हुआ।

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