आर्थिक मंदी ने ऐसे फीका किया धनतेरस

भारत में आर्थिक मंदी की वजह से इस बार लोगों की धनतेरस काफी फीकी रही। कमज़ोर मांग और सोने-चांदी की ऊंची कीमतों की वजह से इनकी बिक्री में लगभग 40 प्रतिशत तक की गिरावट रही। आभूषण कारोबारियों का कहना है कि इस बार देशभर के अधिकांश बाजारों में माहौल ठंडा दिखा। जानकारों की माने तो इस बार का धनतेरस पिछ्ले 10 सालो में सबसे फीका रहा।

खुदरा व्यापारियों के संगठन कैट के सोना एवं आभूषण समिति के चेयरमैन पंकज अरोड़ा ने बताया कि अनुमान के मुताबिक इस बार कारोबार में 35-40 प्रतिशत की गिरावट आई है। यह कारोबारियों के लिए चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि सोने और चांदी की कीमतों में तेजी के चलते बिक्री में गिरावट आई है। उन्होंने कहा कि संभवत: यह व्यापारियों के लिए पिछले 10 सालों में सबसे खराब धनतेरस रहा।

तकरीबन आधी रही बिक्री

गौरतलब है कि इस बार धनतेरस पर दिल्ली में सोना 220 रुपये बढ़कर 39,240 रुपये प्रति10 ग्राम पर पहुंच गया। पिछले साल धनतेरस पर सोने की कीमत 32,690 रुपये थी। इस दौरान, कीमतों में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई। कैट के मुताबिक, इस साल धनतेरस में शाम तक करीब 6,000 किलो सोना बिकने का अनुमान है। इसका मूल्य 2,500 करोड़ रुपये के आसपास है। वहीँ पिछले साल धनतेरस पर 17,000 किलो सोने की बिक्री हुई थी। इसका मूल्य 5,500 करोड़ रुपये था।

इसको लेकर अखिल भारतीय रत्न एवं आभूषण घरेलू परिषद (जीजेसी) के चेयरमैन अनंत पद्मनाभन ने बताया कि मात्रा के आधार पर, बिक्री में पिछले साल के मुकाबले 20 प्रतिशत कमी आने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि अधिकांश ग्राहकों ने शुभ काम मानते हुए कम मूल्य की वस्तुएं खरीदी है। हालाँकि शादी-ब्याह के मौसम में बिक्री में सुधार की उम्मीद है। वहीँ भारत में विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) के अध्यक्ष सोमासुंदरम पीआर ने सर्राफा बाजार में सोने की कीमतों में तेज वृद्धि और भारी छूट से कारोबार पर असर पड़ने की बात कही है।

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