राहत को बोझ न समझे रेलवे

कोरोना काल से पहले सीनियर सिटीजंस को रेल टिकट पर 50 फीसदी तक छूट मिलती थी। लेकिन कोरोना काल में इस सुविधा को बंद कर दिया गया

 

 

-राजेश माहेश्वरी
कोरोना काल से पहले सीनियर सिटीजंस को रेल टिकट पर 50 फीसदी तक छूट मिलती थी। लेकिन कोरोना काल में इस सुविधा को बंद कर दिया गया। कोरोना का प्रकोप कम होने के बाद जब रेल सेवा को फिर से शुरू किया गया तो बुजुर्गों को मिलने वाली छूट को बहाल नहीं किया गया। हाल ही में रेल मंत्रालय ने संसद को एक लिखित जवाब में कहा था कि रियायतों के चलते उस पर भारी बोझ पड़ता है। ऐसे में सीनियर सिटीजंस और खिलाड़ियों के साथ-साथ बाकी कैटगरी के यात्रियों के लिए किराये में रियायत की सुविधा बहाल नहीं की गई है। वरिष्ठ नागरिकों को यात्री किराये में रियायत न देने के निर्णय की काफी आलोचना हो रही है। पिछले दो दशकों में रेलवे की रियायतें बहुत चर्चा का विषय रही हैं, जिसमें कई समितियों ने उन्हें वापस लेने की सिफारिश की है। इसका नतीजा यह हुआ कि जुलाई 2016 में रेलवे ने बुजुर्गों के लिए रियायत को वैकल्पिक बना दिया। वरिष्ठ नागरिक रियायत रेलवे द्वारा दी गई कुल छूट का लगभग 80 प्रतिशत है।

रेल मंत्री ने जानकारी दी कि सीनियर सिटीजन को रेल टिकट पर छूट देने के चलते 2017-18 में रेलवे को 1491 करोड़ रुपये, 2018-19 में 1636 करोड़ रुपये और 2019-20 में 1667 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इससे पहले रेलवे ने लोगों को अपने वरिष्ठ नागरिक रियायतों को छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करने की कोशिश की थी, लेकिन यह सफल नहीं हुआ।

कोरोना काल में यात्री किराये में छूट को रेलवे ने निलंबित किया था। रेलवे ने मार्च 2020 से दो वर्षों में वरिष्ठ नागरिक यात्रियों से 1,500 करोड़ रुपये से अधिक का अतिरिक्त राजस्व अर्जित किया है। मध्य प्रदेश के चंद्रशेखर गौड़ द्वारा दायर आरटीआई के सवाल के जवाब में रेलवे ने कहा कि 20 मार्च, 2020 और 31 मार्च, 2022 के बीच रेलवे ने 7.31 करोड़ वरिष्ठ नागरिक यात्रियों को रियायतें नहीं दीं। इनमें 60 वर्ष से अधिक आयु के 4.46 करोड़ पुरुष, 58 से अधिक आयु की 2.84 करोड़ महिलाएं और 8,310 ट्रांसजेंडर लोग शामिल हैं। इस अवधि के दौरान वरिष्ठ नागरिक यात्रियों से प्राप्त कुल राजस्व 3,464 करोड़ रुपये है, जिसमें रियायत के निलंबन के कारण अर्जित अतिरिक्त 1,500 करोड़ रुपये शामिल हैं।

सीनियर सिटीजंस की सब्सिडी को खत्म करने को लेकर हो रही आलोचना और सवालों पर अपना स्डैंट स्पष्ट करते हुए इंडियन रेलवे ने जारी बयान में कहा है कि सभी तरह की सब्सिडी के कारण 2019-20 में रेलवे को कुल 64,523 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। रेलवे ने कहा है कि लागत से कम किराया वसूलने समेत समाजिक दायित्वों के चलते रेलवे को वर्ष 2019-20 में 45 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। कुल मिलाकर रेलवे 116 पैसे के खर्च के मुकाबले यात्रियों से 48 पैसे प्रति किलोमीटर की दर से शुल्क लेता है।

इसमें कोई दो राय नहीं है कि कोरोना की वजह से रेलवे को बहुत नुकसान पहुंचा है। रेलवे इसकी क्षतिपूर्ति करना चाहता है। इसके लिए रेलवे दूसरे उपाय कर सकता है। वैसे भी वरिष्ठ नागरिकों के साथ कुछ श्रेणी के लोगों को रेल किराए में रियायत देकर वाहवाही लूटी जा रही थी, जिसे कोरोना काल में बंद कर दिया गया। पुनः आरम्भ की गई रेल में रियायतों के स्थान पर साधारण किराए को भी दुगुना कर दिया गया है। जिससे रेलवे की आय बढ़ी है। जानकारों के मुताबिक, असल में रेलवे को घाटा इस तरह की रियायतें नहीं, बल्कि रेलवे कुप्रबंधन के कारण हो रहा है। बिना टिकट यात्रा के साथ-साथ कुछ दूसरे कारणों की वजह से रेलवे का ज्यादा नुकसान हो रहा है।

सीनियर सिटिजन अपने युवाकाल को समाज और सरकार की सेवा में अर्पित करके जीवन के अंतिम काल में शांतिपूर्ण जीवन जीना चाहते हैं। ऐसे समय में उनको कुछ मदद की जरूरत भी होती है। सामान्यतः वरिष्ठ नागरिक अपने बच्चों पर आश्रित होते हैं। वे कई बार चाहकर भी किसी स्थान की यात्रा पर जाने से अपने को रोक लेते हैं। इन स्थितियों में, उन्हें रेल किराए में छूट की सुविधा से वंचित रखना अनुचित है।

रेल किराए में वरिष्ठ नागरिकों को छूट न देना, एक तरह से उनके ऊपर अन्याय करने के समान है। जब सांसदों को निःशुल्क यात्रा की सुविधा मिल सकती है, तो वरिष्ठ नागरिकों को यात्रा किराए में रियायत देने में क्या दुविधा है? सरकार तुरंत यह योजना पुनः लागू करे और वरिष्ठ नागरिकों को आवश्यक आर्थिक संबल प्रदान करे।

-लेखक उत्तर प्रदेश राज्य मुख्यालय पर मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार हैं।

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