सरकार का लाया कृषि कानून किसानों के लिए मौत की सजा : राहुल गांधी

नई दिल्ली। खेती-किसानी से जुड़े तीन विधेयकों को कांग्रेस पार्टी पहले ही ‘संघीय ढांचे के खिलाफ और असंवैधानिक’ करार दे चुकी है और अब इनके खिलाफ देशव्यापी अभियान शुरू कर दिया है। इस बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार केंद्र की मोदी सरकार पर हमलावर हैं। उन्होंने कहा कि कृषि कानून हमारे किसानों के लिए मौत की सजा है। उनकी आवाज को संसद और बाहर दोनों जगह कुचला जा रहा है।

वायनाड से सांसद राहुल गांधी ने सोमवार को ट्वीट कर कहा, “कृषि कानून हमारे किसानों के लिए मौत की सजा है। उनकी आवाज को संसद और बाहर कुचल दिया जाता है। यहां इस बात का प्रमाण है कि भारत में लोकतंत्र मर चुका है।” उन्होंने कहा कि यह सरकार सिर्फ पूंजीपतियों की आय की चिंता करती है, इसे किसानों-खेत मजदूरों की समस्या की कोई फिक्र नहीं है।

राहुल ने ट्वीट के साथ अंग्रेजी समाचार पत्र में छपी खबर को भी शेयर किया है। जिसके मुताबिक राज्यसभा के उप सभापति ने कृषि विधेयकों पर मतविभाजन किए जान को कहा था लेकिन तब विपक्षी सांसद अपनी सीट पर नहीं थे। इसी वजह से मतविभाजन नहीं हो सका। उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष के हंगामे के कारण सदन में स्थिति बिगड़ी, जबकि सदन विधेयक पर चर्चा और विभाजन दोनों के लिए तैयार था। सरकार संसद सदस्यों की आवाज दरकिनार कर किसानों की मांग को अनसुना करने का काम कर रही है। इसी बात को लेकर राहुल ने प्रतिक्रिया स्वरूप कहा कि देश में लोकतंत्र मर चुका है।

उल्लेखनीय है कि मानसून सत्र में संसद ने कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 को मंजूरी दी। इस पर देशभर में विशेषकर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान खासे नाराज हैं और प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों द्वारा रेल यातायात ठप किए जाने के बाद अब पंजाब में किसान उग्र तौर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि अगर उनकी बात नहीं सुनी जाती है तो आगामी एक अक्टूबर से अनिश्चितकाल के लिए रेल यातायात ठप किया जाएगा।

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