उत्तराखंड को कैसे बनाया जाए आत्मनिर्भर, सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया त्रिस्तरीय पंचायतों से ई संवाद

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आज आत्मनिर्भर भारत बनाने की ओर एक बड़ा कदम रखा है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आत्मनिर्भर भारत के संदर्भ में उत्तराखंड में पंचायतों की भूमिका पर प्रदेश के समस्त त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों के साथ ई संवाद किया। जिसमें उन्होंने प्रदेश और देश को कैसे आत्मनिर्भर बनाया जाए इसकी बात कही। उन्होंने इससे जुड़ी योजनाओं के बारे में भी जिक्र किया। वहीं उन्होंने कोरोनावायरस से लेकर डेंगू आजकल कुछ लोगों को होने लगा है उसकी बात भी कही। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस दौरान इस महामारी से लड़ने की बात भी साझा की।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस दौरान कहा कि एक विशेष तौर से हम गुजर रहे हैं और वह है कोविड-19 महामारी का दौर। इस बीच पंचायत प्रतिनिधियों ने जो भूमिका का निर्वहन किया है एक योद्धा की तरह इस कोविड-19 वार में आपने तन मन धन से अपनी भूमिका का निर्वहन किया है। गांव प्रधानों की भूमिका क्या हो सकती है और लोकतंत्र का क्या महत्व है यह खूब सीखने को मिला है। आप लोगों ने स्वत और स्वयं की प्रेरणा से प्रेरित होकर तमाम रक्षात्मक उपाय अपनाएं। इस तरीके से, इस वायरस से इस महामारी से हम अपने गांव को बचा सकते हैं, अपने जिले को बचा सकते हैं अपने प्रदेश को बचा सकते हैं। तो उसमें आपकी भूमिका अति महत्वपूर्ण रही है। उसकी जितनी सराहना की जाए, प्रशंसा की जाए मैं समझता हूं कि वह कम ही कम है। अभी भी लड़ाई जारी है।

त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि ऐसा लगता है कि लड़ाई लंबे समय तक चलेगी। जिस तरह से दुनिया के तमाम विकसित देशों, विकासशील देश हो या पिछड़े देश हो सभी में इस वायरस ने कड़ा रुख अपनाया है। लेकिन आज भी अगर हम देखें तो भारत में जो मृत्यु दर हैं और जो रिकवरी रेट है दोनों बेहतर हैं। तमाम जिन देशों को बहुत गुरूर था कि उनकी स्वास्थ्य सेवाएं सबसे बेहतर हैं उन सब का आज हम अगर इस महामारी पर नियंत्रण के हिसाब से उनका आकलन करें तो वह बहुत पीछे नजर आते हैं। लेकिन हम सब लोग भारत के लोग हैं और हम सब सतर्कता, परहेज पर ज्यादा विश्वास रखते हैं। और उसी ने इस महामारी में हम को बचा कर रखा है।

त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि आपको मालूम होगा कि माननीय प्रधानमंत्री जी ने अपना पहला आवाहन देश को किया था जान है तो जहान है। उन्होंने लॉक डाउन की घोषणा की थी यह पता होते हुए भी कि इसमें तमाम आर्थिक नुकसान होंगे। लेकिन जीवन रहेगा तो उसके आर्थिक नुकसान की भरपाई की जा सकती है। यह महामारी है और महामारी का मतलब होता है कि तमाम तरह की दिक्कतें समाज को झेलनी होती हैं। आर्थिक ही नहीं बल्कि सामाजिक स्तर पर भी तमाम गहन संवेदनशील लोग भी सामने आए जिन्होंने समाज को और जो लोग प्रभावित लोग थे उनको अपने परिवार का एक हिस्सा मानकर सहयोग किया। ऐसे मामले भी सामने आए की लोगों ने संक्रमित लोगों की लाशें भी जलाने से मना कर दिया। श्मशान घाटों पर आने से विरोध भी सामने आया। यद्यपि यह है कहीं कहीं पर आया। लेकिन जब हम महामारी की बात करते हैं तो यह महामारी के परिणाम है।

उन्होंने कहा कि मैं आपसे बात कर रहा था कि अभी यह लड़ाई लंबी लड़ी जाएगी। इस लड़ाई को हम बहुत आसानी से भी लड़ सकते हैं और बहुत कुछ होने के बाद भी सफलता तक पहुंचने में हमको दिक्कतें भी हो सकती हैं। अगर हम सामाजिक दूरी को बनाकर रखते हैं, हम अपने चेहरे को ढक कर रखते हैं, हम अपने हाथ में बार-बार धोते हैं, साबुन से धोते हैं तो हम इस को काफी हद तक नियंत्रित कर सकते हैं। अगर हम इसे वास्तविक में रोकना चाहते हैं तो हम इसे जीरो बजट से भी रोक सकते हैं। बगैर पैसे की भी रोक सकते हैं। नहीं तो यह मार कहां तक पड़ेगी कुछ कहा नहीं जा सकता है। लेकिन इससे भयभीत होने की जरूरत नहीं है। यह जबरदस्ती आपके गले नहीं पड़ता। लेकिन सावधानी और सतर्कता यह बहुत जरूरी है। इसलिए मैं अपने सभी मित्रों से कहना चाहूंगा, अपनी बहनों से कहना चाहूंगा कि हम सावधानी और सतर्कता बरतें।

इस दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने रूस में बनी कोरोनावायरस वैक्सीन का जिक्र भी किया। उन्होंने कहा कि आज खबर मिली है कि रूस में कोरोना वैक्सीन बनी है अभी उसके क्या परिणाम बनेंगे और कब तक उपलब्ध होगा। 800 करोड़ की आबादी है दुनिया की तो कुछ कहा नहीं जा सकता। लेकिन ऐसे में सतर्कता बहुत जरूरी है। उत्तराखंड राज्य ने सतर्कता बरती,उत्तराखंड में रिकवरी रेट अच्छा है हम सब जानते हैं कि हमारे लोग राज्य से बाहर बड़ी संख्या में रहते हैं और उनको लाना भी जरूरी था। जब कभी कोई दिक्कत खड़ी होती है तो हर किसी को अपने घर की याद आती है। वह अपने घर की ओर जाना चाहता है। ऐसे में सरकार कैसे मना कर सकती थी। ऐसे में तमाम तरह के सुझाव हमारे पास आए। बाहर से लोग आएंगे तो बीमारी साथ लेकर आएंगे लेकिन हमने सब बातों पर विचार करने के बाद हमने यह निर्णय लिया कि हम सब लोगों को वापस लेकर आएंगे। फिर तमाम ट्रेन की व्यवस्था की गई। बसों की व्यवस्था की गई और कुछ राज्यों से भी अनुरोध किया गया और आप सभी के सहयोग से हम अपने 328000 लोगों को ला पाने में कामयाब हुए। लेकिन वह ऐसी जगह से आए जो इस बीमारी से काफी ग्रसित थे। जैसे दिल्ली एनसीआर का एरिया है, गुजरात का सूरत है अहमदाबाद है, महाराष्ट्र में मुंबई और पुणे हैं। काफी लोग संक्रमित थे। लेकिन हमने अपनी व्यवस्थाएं की और हम उनको वापस लेकर आए हैं।

त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि आज हमारे हर राज्य में हर जगह वेंटिलेटर हैं। आज जांच के लिए मशीनें हैं, जो जरूरी चीज है वह हमारे पास है। हमारे पास 22,000 कोविड बेड है। कोविड-19 केयर सेंटर में हमने 22000 बेड की व्यवस्था की है। अभी हल्द्वानी मैं कल 500 और बढ़ाने को कहा है। यद्यपि जो वहां पेशेंट हैं वह मात्र ढाई सौ के आस पास हैं। लेकिन हमें व्यवस्थाएं चाहिए और तैयारी रहनी चाहिए। पूरी तरह तैयार हैं। मैं आप सभी को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि यह दौर निकल जाएगा और बीमारी पीछे छूट जाएगी। लेकिन अपनी व्यवस्था है हम को चाक-चौबंद रखने हैं।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि आजकल डेंगू परेशानी है। यद्यपि अभी तक डेंगू की ऐसी मार देखने को नहीं मिल रही है लेकिन जरा सी लापरवाही, जरा सी असावधानी नुकसान पहुंचा सकती है और हम सब जानते हैं कि डेंगू का मच्छर यह साफ पानी में होता है यह गंदगी में नहीं होता। यह घर के अंदर जो हमारी किचन में पानी है उसमें भी पैदा हो सकता है। गमलों में जो पानी है उसमें भी पैदा होता है। अगर हम कूलर का इस्तेमाल करते हैं तो उसके पानी मैं भी हो सकता है। इसलिए कहीं पानी इकट्ठा ना हो यह जरूर हमको ध्यान देना है। सतर्कता और सावधानी यही सबसे अच्छा उपचार हैं। सबसे कारगर उपचार हैं। इसलिए इस कारगर उपचार को हम जरूर अपनाएंगे। हमें विश्वास है कि जहां को व्हाट्सएप लोग लड़ रहे हैं, केस लड़ रहा है दुनिया लड़ रही है वही डेंगू से भी हम लड़ लेंगे। यह 3 महीने की बीमारी होती है डेंगू का मच्छर लगभग 3 महीने रहता है। 3 महीने अगर हम सावधानी से निकाल ले तो हम डेंगू से बच सकते हैं।

उन्होंने कहा कि आज जिस रूप में हम आपको मिल रहे हैं यह तकनीक का कमाल है। आज लगभग 10000 लोगों से हम बातचीत कर रहे हैं और इसको हम को और विस्तार देना है। अभी 3 दिन पहले भारत ने फेस 2 से अपने राज्य को 2000 करोड रुपए मिला है भारत सरकार से। इसके तहत हर गांव तक यह नेटवर्क का जाल बिछाना है। हरिद्वार जनपद खबर हो चुका है और बाकी जनपदों में यह काम होना है। लक्ष्य रखा गया है कि डेढ़ साल में हम इस काम को पूरा करेंगे। अगर हालात सामान्य होती है तो मुझे विश्वास है कि डेढ़ साल के अंदर अंदर हमारा हर गांव इससे जुड़ जाएगा। तमाम तरह की सुविधाएं मारा जब नेटवर्क गांव-गांव तक पहुंच जाएगा तो हम अपने घर बैठे बैठे तमाम चीजें कर पाएंगे। तमाम आवश्यक प्रमाण पत्र होते हैं प्राप्त कर सकते हैं। यह आशीर्वाद है हमारे मन में प्रधानमंत्री जी का कि उन्होंने ई गवर्नेंस की बात की है। डिजिटल इंडिया की बात की है। इंडिया डिजिटल होना चाहिए।

इस दौरान त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत। प्रधानमंत्री जी ने कहा कि हमको चुनौतियों को अवसर में बदलना है। कैसे हम इसको अफसर में बदलें और उन्होंने कहा कि इस कोविड-19 महामारी का यह संदेश है कि भारत अपने पैरों पर खड़ा हो। भारत खड़ा कब होगा जब हमारे गांव खड़े होंगे। जब हमारे गांव के पैर खड़े होंगे तो भारत स्वाभाविक रूप से अपने पैरों पर खड़ा हो जाएगा 20 लाख करोड़ का पैकेज उन्होंने आत्मनिर्भर भारत के लिए दिया। गरीबों के कल्याण के लिए दिया आज जो लोग अपनी नौकरियां छोड़कर मजबूरी में अपने गांव की तरफ आना पड़ा। माननीय प्रधानमंत्री जी ने नवंबर तक उनके राशन की व्यवस्था की है। सीधा केंद्र निधि से वह पैसा आ रहा है 90 लाख करोड़ रूपया इस पर खर्च हो रहा है। यह उनकी सोच है कि पहली जरूरत हमारी क्या है। तो समय का भोजन सबको मिले कोई भूखा ना सोए। कोई गरीब व्यक्ति भी किसी कारण से भूखा ना रहे यह उनकी सोच है। राशन कार्ड है या नहीं है उनके लिए भी उन्होंने राशन की व्यवस्था की। इसी में से आत्मनिर्भर भारत हम कई सामान विदेशों से लाते हैं। उसमें तमाम तरीके की दिक्कतें भी होती हैं खतरे भी होते हैं। देश की सुरक्षा से जुड़े हुए सवाल भी होते हैं। ऐसे में आत्मनिर्भर भारत का उन्होंने आह्वान किया है और आत्मनिर्भर भारत का मतलब है कि जब यह कोविड-19 आया 8 मार्च को तो देश में कोई पीपीई किट नहीं बनते थे। N95 मास्क जो हमारे डॉक्टर के लिए नर्सों के लिए अस्पताल के अंदर बहुत जरूरी है। वह भारत में बनते ही नहीं थे। आज भारत बना ही नहीं रहा है आज भारत निर्यात भी कर रहा है। 500000 पीपीई किट आज भारत में प्रतिदिन तैयार हो रही है। और भारत जरूरतमंद देशों को उसकी आपूर्ति भी पूरी कर रहा है। यह आत्मनिर्भर भारत है। आज भारत कोविड-19 के लिए वैक्सीन की तैयारी कर रहा है। औषधियों की तैयारी कर रहा है यही आत्मनिर्भर भारत है। हमको दूसरों पर निर्भर ना होना पड़े इसी तरह से हमने अपने राज्य में मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना लागू की है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने 10000 मोटर टैक्सी की योजना बनाई है। जिसमें 2 साल तक नहीं देना है। आपका जो इंटरेस्ट होगा उसको राज्य सरकार वहन करेगी। किसी भी बाइक के मालिक को इंटरेस्ट देने की आवश्यकता नहीं होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम एक और योजना लाएंगे जिसमें हम 10000 लोगों को रोजगार देने की योजना कर रहे हैं। जो सरकारी नौकरियां हैं उनमें हमारी भर्तियां जारी हैं। वहां भर्ती करेंगे ही लेकिन हमको यह समझ लेना चाहिए आज जब भारत 135 करोड़ का भारत है तो मात्र 2:30 से 2:45 करोड़ ही सरकारी कर्मचारी हैं। उत्तराखंड जो लगभग एक करोड़ 10 लाख से ज्यादा जिसकी आबादी है उसमें भी
लगभग तीन लाख से कम कर्मचारी हैं इसका मतलब यह है कि सबको सरकारी नौकरी मिलना संभव नहीं है। काफी लोगों के राय थी कि लोगों को 10,000 -5000 दे दिए जाएं लेकिन इससे हम खड़े नहीं हो सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम एक चीज पर और काम कर रहे हैं वह हिमालयन ग्रीन। हिमालय के ग्रीन वेजिटेबल्स। लेकिन यह तब होगा जब हम लोग इसे पैदा करेंगे और उसको सीधा मार्केटिंग करेंगे। दिल्ली हमारे नजदीक है। सड़के हमारे प्रधानमंत्री जी ने बहुत बेहतरीन सड़के बना दी हैं। रेल की बहुत बेहतर सुविधा है। हम उसकी मार्केटिंग दिल्ली में कर सकते हैं और हिमालयन उत्पादों की बहुत ज्यादा मांग है। और उनका बाजार मूल्य भी बहुत अच्छा है। इसलिए हम जो मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना है उसके अंतर्गत हम काम कर सकते हैं। हमने जिला योजना में भी 40% बजट इस काम के लिए रखा है। पैसे की कोई दिक्कत नहीं है बस काम करने वाले चाहिए।

Related Articles

Back to top button