ब्रिक्स के सदस्य देशों को आतंकवाद के विरुद्ध अपने सामूहिक संघर्ष को तेज करने की जरूरत: बिरला

नई दिल्ली/कोटा। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि ब्रिक्स के सदस्य देशों को आतंकवाद, जो मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है, के विरुद्ध अपने सामूहिक संघर्ष को तेज करने की आवश्यकता है । उन्होने यह भी कहा कि जनप्रतिनिधि होने के नाते सांसद मूकदर्शक नहीं बने रह सकते और उन्हें आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद की चुनौतियों का सामना करने के लिए एकजुट होना चाहिए । उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद से जुड़ी सभी गतिविधियों के लिए मिलने वाली धनराशि पर तत्काल रूप से रोक लगनी चाहिए और आतंकवाद तथा हिंसक उग्रवाद के पनपने के लिए जिम्मेदार परिस्थितियों पर ध्यान दिए जाने और उनका यथाशीघ्र समाधान किए जाने की आवश्यकता है ।

बिरला ने मंगलवार को ब्रिक्स संसदीय फोरम की बैठक को विडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया। यह बैठक “वैश्विक स्थिरता, जनसाधारण की सुरक्षा और प्रगतिशील विकास की दृष्टि से ब्रिक्स के सदस्य देशों के बीच भागीदारी: संसदीय आयाम ” विषय पर आयोजित की गई थी । अपने संबोधन में बिरला ने इस बात पर जोर दिया कि ब्रिक्स के सदस्य देशों की संसदों को आतंकवाद को समाप्त करने संबंधी संधियों और समझौतों के समर्थन में अपने सामूहिक संकल्प को बल प्रदान करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मंचों का उपयोग करना चाहिए । उन्होंने कहा कि कोविड – 19 महामारी के कारण लाखों निर्दोष लोगों की दु:खद मृत्यु हुई है, गंभीर आर्थिक चुनौतियां पैदा हुई हैं और सामान्य जनजीवन अस्त – व्यस्त हो गया है । उन्होंने यह भी कहा कि यह ऐसा समय है जबकि वैश्विक एकता और सहयोग की सबसे अधिक आवश्यकता है ।

बिरला ने आगे यह कहा कि ब्रिक्स के सदस्य देशों के बीच आपसी मतभेद होने के बावजूद एक न्यायसंगत और भेदभाव-रहित विश्व जहां गरीबी, भुखमरी और बीमारी के लिए कोई स्थान न हो और जहां प्रत्येक मनुष्य को जन्म से ही समान अवसर प्राप्त हों, यह हमारा साझा सपना है । उन्होंने यह भी कहा कि ब्रिक्स के सदस्य देशों को यह सुनिश्चित करना है कि इस वैश्विक महामारी के कारण सतत विकास लक्ष्य एजेंडा, 2030 को प्राप्त करने के मार्ग में कोई संकट पैदा न हो और वे भुखमरी, गरीबी का पूरी तरह से उन्मूलन करने और एक समावेशी तथा न्यायसंगत विश्व की स्थापना करने के अपने उद्देश्य की दिशा में एकसाथ मिलकर कार्य करते रहें । कोविड-19 के इस अप्रत्याशित संकट का सामना करने में भारत के अनुभवों और कार्यनीतियों को साझा करते हुए

लोकसभा अध्यक्ष ने यह उल्लेख किया कि हमारी सरकार समाज के कमजोर वर्गों को सशक्त बनाने, कृषि और कृषि से जुड़े व्यवसायों, एमएसएमई और अन्य उद्योगों को फिर से खड़ा करने की चुनौतियों का सामना करने के लिए 260 बिलियन डॉलर का आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज दे रही है । उन्होंने कहा कि “आत्मनिर्भर भारत अभियान” जैसी योजनाएं निर्धन लोगों, किसानों, शहरी कामकाजी वर्ग तथा मध्यम वर्ग का सशक्तिकरण करने में काफी सहायक होंगी । उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि इस वैश्विक महामारी के फैलने के शुरूआती दिनों में भारत ने तीन सुविधाओं अर्थात विशिष्ट पहचान संख्या (आधार), एक बैंक खाता तथा मोबाइल कनेक्शन के आधार पर तेजी से और सफलतापूर्वक समाज के कमजोर वर्गों को नकद धनराशि का अंतरण किया ।

बिरला ने यह भी कहा कि भारत सरकार ने आर्थिक संकट का सामना कर रहे लोगों के लाभ हेतु ‘गरीब कल्याण रोजगार योजना’ नामक एक व्यापक रोजगार सृजन और ग्रामीण विकास योजना भी लागू की है । छठे ब्रिक्स फॉरम के चेयरमैन और स्टेट ड्यूमा ऑफ फेडरल असेंबली ऑफ रशिया के चेयरमैन व्यचस्लाव वोलोदिन और ब्राज़ील, चीन तथा दक्षिण अफ्रीका की संसदों के पीठासीन अधिकारीयों ने भी विचार-विमर्श में भाग लिया ।

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