इंजेक्शन का ओवरडोज.. 20 मिनट में तड़प-तड़प कर पिता की मौत, बेटी ने कहा – “कोई मदद के लिए नहीं आया”

अयोध्या स्थित राजर्षि दशरथ मेडिकल कॉलेज में एक बुजुर्ग मरीज की मौत ने चिकित्सा लापरवाही के गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। परिजनों का आरोप है कि इंजेक्शन की ओवरडोज के कारण उनके पिता की जान गई। इस घटना ने अस्पताल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिया है।

मरीज की पहचान और स्वास्थ्य स्थिति

मृतक की पहचान नरेंद्र बहादुर के रूप में हुई है, जो अयोध्या के बीकापुर कोतवाली क्षेत्र के रजौरा गांव के निवासी थे। उन्हें ब्लड प्रेशर और शुगर की पुरानी समस्या थी। उनकी बेटियों ने बताया कि जब उनकी तबीयत बिगड़ी, तो वे उन्हें इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज लेकर आईं।

इलाज के दौरान हुई लापरवाही

परिजनों के अनुसार, भर्ती के कुछ समय बाद नरेंद्र बहादुर को एक इंजेक्शन दिया गया, जिसकी मात्रा निर्धारित से अधिक थी। इंजेक्शन देने के लगभग 20 मिनट बाद उनकी हालत बिगड़ने लगी और अंततः उनकी मृत्यु हो गई। बेटियों ने आरोप लगाया कि इस दौरान कोई डॉक्टर या वरिष्ठ स्टाफ उनकी मदद के लिए नहीं आया।

परिजनों का हंगामा और शव लेने से इनकार

मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया और शव को लेने से इनकार कर दिया। उन्होंने मांग की कि जब तक उनकी बात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक नहीं पहुंचेगी, वे शव को नहीं ले जाएंगे। परिजनों का कहना है कि वे चाहते हैं कि इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार लोगों को सख्त सजा मिले।

अस्पताल प्रशासन की कार्रवाई

मामले की गंभीरता को देखते हुए मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सत्यजीत वर्मा ने तत्काल जांच के आदेश दिए। प्रारंभिक जांच में लापरवाही पाए जाने पर वार्ड बॉय अखिलेश और संबंधित स्टाफ नर्स को निलंबित कर दिया गया है। डॉ. वर्मा ने आश्वासन दिया कि जांच पूरी होने के बाद अन्य जिम्मेदारों पर भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

प्रशासनिक प्रतिक्रिया और जांच प्रक्रिया

घटना के बाद प्रशासन सतर्क हो गया है। अस्पताल के उच्च अधिकारी मामले की जांच में जुटे हैं और अस्पताल स्टाफ की कार्यप्रणाली को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं। अब यह देखना होगा कि जांच रिपोर्ट में क्या निष्कर्ष निकलते हैं और सरकार परिजनों की मांगों पर क्या कार्रवाई करती है।

चिकित्सा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता

यह घटना चिकित्सा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता को उजागर करती है। मरीजों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए अस्पतालों में सख्त निगरानी और जवाबदेही सुनिश्चित करना आवश्यक है। इस मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई से ही भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है।

Related Articles

Back to top button