ईद के बाद सपा में होगा बड़ा बदलाव, संगठन में इन चेहरों को मिलेगी तवज्जो

प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने सभी महानगर अध्यक्षों एवं जिलाध्यक्षों से विधानसभा क्षेत्रवार हार के कारणों पर रिपोर्ट मांगी

लखनऊ: यूपी विधानसभा चुनाव के बाद से ही सपा में हलचल मचा हुआ है। ऐसे में पार्टी कुछ बदलाव करने का सोच रही है। इसी कड़ी में सपा में ईद के बाद बड़ा संगठनात्मक फेरबदल होगा। इसकी तैयारी शुरू हो गई है। प्रदेश से लेकर जिला स्तर पर संगठन में नए और संघर्षशील चेहरों को तवज्जो दी जाएगी। पार्टी ऐसे लोगों को जिले की कमान सौंपेगी, जिनकी छवि साफ होने के साथ ही जुझारू होगी। इस मुद्दे पर शीर्ष नेतृत्व एक-एक जिले की स्थिति पर मंथन कर रहा है।

बता दे कि सपा ने विधानसभा चुनाव में 111 सीटों पर जीत हासिल की है। जबकि 14 सीटें सहयोगियों ने जीती हैं। इस तरह सदन में सपा गठबंधन के कुल 125 विधायक हैं। हालांकि विधान परिषद में उसे नेता प्रतिपक्ष का पद गंवाना पड़ा है। माना जा रहा था कि विधानसभा परिषद चुनाव के बाद सभी कमेटियां भंग कर दी जाएंगी, लेकिन शीर्ष नेतृत्व ने तत्काल कमेटी भंग करने के बजाय वस्तु स्थिति का आकलन करना ज्यादा जरूरी समझा।

नरेश उत्तम पटेल हार के कारणों पर रिपोर्ट मांगी

ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने सभी महानगर अध्यक्षों एवं जिलाध्यक्षों से विधानसभा क्षेत्रवार हार के कारणों पर रिपोर्ट मांगी और सक्रिय सदस्यों की सूची भी तलब की।  विधानसभा क्षेत्रवार आई रिपोर्ट पर शीर्ष नेतृत्व ने माहभर मंथन किया। इसके बाद प्रदेश कार्यालय से एक रिपोर्ट राष्ट्रीय कार्यालय को भी भेजी गई है। अब बदलाव की तैयारी है।

 फ्रंटल संगठनों की कमेटियों को भंग

सूत्रों का कहना है कि पहले फ्रंटल संगठनों की कमेटियों को भंग कर नए सिरे से गठन होगा। इसके बाद मुख्य कमेटी में भी बदलाव होंगे। शीर्ष नेतृत्व की रणनीति है कि लंबे समय से पार्टी में संघर्षशील रहने वाले युवाओं को आगे किया जाए। ताकि वे जनहित के मुद्दे को धमाकेदार तरीके से उठा सकें। सदन में विधायक जनता की आवाज बनेंगे तो सड़क पर संगठन खड़ा रहेगा। ताकि वर्ष 2024 लोकसभा चुनाव में पार्टी की जीत का ग्राफ बढ़ाया जा सके।

जिलों में दिखेगा नया समीकरण

जानकारी के मुताबिक अब जिलों में पुराने पैटर्न पर जिलाध्यक्षों का मनोनयन नहीं होगा। जिले की कमान सौंपने से पहले उसकी नेतृत्व क्षमता का आकलन किया जाएगा। संबंधित व्यक्ति की स्वीकार्यता, सामाजिक समीकरण, पार्टी में कार्य करने की स्थिति, संघर्षशीलता आदि की कसौटी पर खरा उतरने वाले को ही जिले की कमान सौंपी जाएगी। कुछ ऐसी ही स्थिति फ्रंटल संगठनों की भी रहेगी।

 

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