क्या आजम खान भी छोड़ेंगे अखिलेश यादव का साथ? जानें ऐसा क्यों लगाया जा रहा कयास

फसाहत अली के इस बयान के बाद यूपी के सियासी गलियारों में अटकलों का बाजार तेज हो गया

लखनऊ. यूपी विधानसभा चुनाव के बाद भी सियासी हलचल थमने का नाम नही ले रहा है। नेताओं का पार्टी बदलने का सिलसिला लगातार जारी है। ऐसे में अब शिवपाल यादव के बाद आजम खान का भी अखिलेश यादव का साथ छोड़ने का कयास लगाया जा रहा है।वही अब अखिलेश यादव को आजम खान के समर्थकों की नाराजगी का भी सामना करना पड़ रहा है। सीतापुर जेल में बंद आजम खान के करीबी और मीडिया सलाहकार फसाहत अली ने अखिलेश यादव पर आरोप लगाया है कि उन्होंने आजम खान के लिए न तो संसद में और न ही विधानसभा में आवाज उठाई. फसाहत अली के इस बयान के बाद यूपी के सियासी गलियारों में अटकलों का बाजार तेज हो गया है।

बता दे कि रविवार को रामपुर (Rampur) में हुई पार्टी की बैठक में फसाहत अली (Fasahat Ali) ने कहा कि चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने ठीक ही कहा था कि अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) नहीं चाहते कि आजम खान (Azam Khan) जेल से बाहर आएं। फसाहत अली ने कहा कि आजम खान के आदेश पर रामपुर ही नहीं आस-पास की कई सीटों पर मुसलमानों ने समाजवादी पार्टी को वोट दिया। लेकिन हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष ने मुसलमानों का पक्ष नहीं लिया। उन्होंने आजम साहब के लिए आवाज भी नहीं उठाई। आजम खान साहब दो साल से जेल में बंद हैं, लेकिन अखिलेश यादव एक बार ही उनसे मिलने गए। फसाहत अली ने कहा कि आजम खान को विपक्ष का नेता भी नहीं बनाया गया। अब तो ऐसा लगता है कि अखिलेश जी को मुसलमानों के कपड़ों से बू आने लगी है।

जानें आजम खान के बारें में

बता दे कि  आजम खान ने 2022 का विधानसभा चुनाव जेल में रहते हुए लड़ा था। मौजूदा समय में रामपुर से विधायक है।आजम खान 1980 से रामपुर सीट से जीत रहे हैं। सिर्फ 1996 में उन्हें कांग्रेस के हाथों हार का सामना करना पड़ा था।

आजम खान को पार्टी से निष्कासित

बता दे कि इससे पहले सपा आजम खान को पार्टी से निष्कासित कर चुकी है। मई 2009 में उन्हें पार्टी से 6 सालों के लिए निकाला गया था, लेकिन दिसंबर 2010 में उनका निष्कासन वापस ले लिया गया और वे दोबारा पार्टी का हिस्सा बन गए। निष्कासन के दौरान वह किसी और पार्टी में शामिल नहीं हो सकते थे या गठबंधन नहीं कर सकते थे।

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