मजदूरी करने वाले युवक का यूपीसीए में हुआ चयन- रचा इतिहास

मजदूरी करने वाले युवक का यूपीसीए में हुआ चयन- रचा इतिहास

 मजदूरी करने वाले युवक का यूपीसीए में हुआ चयन- रचा इतिहास

कहते है कि कोई भी काम अगर सच्ची मेहनत और लगन से किया जाए तो उसका फल जरूर मिलता है। ऐसी ही लगन और मेहनत का उदाहरण बना है शामली जनपद का कुलदीप नाम का युवक। जो बेहद गरीब है। हम बात कर रहे है कुलदीप नाम के एक ऐसे मजदूर की जिसका उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन में शामली जनपद से सिलेक्शन हुआ है। कुलदीप भट्टे पर ईट पथाई की मजदूरी कर अपना घर परिवार चला रहा था आज उस शख्सियत से हम आपको रूबरू कराने जा रहे हैं जिसने उत्तर प्रदेश के जनपद शामली में पहली बार इतिहास रचा है। वही मजदूरी करते- करते उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन में कुलदीप का सिलेक्शन होने के बाद गांव, परिवार व जनपद में खुशी का माहौल है।

*राह में कांटे थे फिर भी क्रिकेट खेलना सीख गया।*

*यह गरीब मजदूर का बच्चा था हर दर्द में जीना सीख गया।*

यह दो लाइन उत्तर प्रदेश के जनपद शामली के एक छोटे से गांव सिलावर में रहने वाले कुलदीप नाम के मजदूर पर सटीक बैठती है। क्योंकि सिलावर गांव का रहने वाला कुलदीप बेहद गरीब परिवार का रहने वाला है और मजदूरी कर अपने परिवार के साथ पालन पोषण कर अपना जीवन यापन कर रहा है। वही कुलदीप का उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन में चयन हो चुका है। आपको बता दें कि शामली जनपद के गांव सिलावर का रहने वाला कुलदीप बेहद गरीब परिवार से जुड़ा है। जिसके परिवार में चार भाई ओर माँ है। वही कुलदीप के पिता की कोरोना काल में मौत हो चुकी है। बचपन से ही कुलदीप गरीबी में पला बढ़ा है। कुलदीप के परिवार की स्थिति इतनी दयनीय है कि उसकी मां शकुंतला देवी गांव के जमीदारों के यहां पर मेहनत मजदूरी करके अपने बच्चों की पढ़ाई लिखाई व पालन पोषण कर रही है। इतना ही नहीं कुलदीप की मां और परिवार के सदस्य भट्टे पर ईट पथाई का काम करते हुए अपने जीवन यापन को चला रहे हैं। इसी बीच कुलदीप भी अपनी मां का साथ देता रहा और थोड़ा बहुत समय निकाल कर अपनी पढ़ाई और खेल में देता रहा। वही जब भी कुलदीप खेल के लिए जाता था तो उसका परिवार भी उसे रोकता था लेकिन खेल-खेल में बदलो दुनिया का उदाहरण आज कुलदीप ने सच साबित कर दिया है। उसने गांव के लोगों की और परिवार के लोगों की रोक-टोक नही सुनी। वह खेल पर लगातार ध्यान देता रहा। जिसके चलते उसके सामने काफी दिक्कत भी आई है। वही गरीबी के चलते क्रिकेट कोच ने भी कुलदीप की प्रतिभा को देखते हुए उसकी सारी फीस माफ कर दी थी और अपने यहां क्रिकेट में फ्री में ही कोचिंग करा रहे थे। लगभग पिछले 4 साल से कुलदीप क्रिकेट की कोचिंग कर रहा था जिसमें वह फास्ट बॉलर के रूप में निखर कर सामने आया। कुलदीप ने उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन में अपना फास्ट बॉलर का दमखम दिखाया है जिसके चलते कानपुर में यूपीसीए द्वारा कुलदीप का चयन कर लिया गया है। वही जब कानपुर से कुलदीप का रणजी ट्रॉफी में सिलेक्शन का कॉल आया तो उसको यकीन ही नहीं हुआ कि उसका सपना सच साबित हो चुका है। कुलदीप को आज भी यही लगता है कि उसने जो सपना देखा था वह अभी भी सपना ही है। कुलदीप के परिवार में आज खुशी का ठिकाना नहीं है। उसकी मां भी बेहद खुश है लेकिन कोरोना काल में कुलदीप के पिताजी का चला जाना उन्हें आज भी महसूस होता है। गरीबी के नीचे पले बढ़े इस होनहार युवा कुलदीप ने आज जनपद शामली का नाम रोशन करते हुए इतिहास रचा है क्योंकि कुलदीप को यह पता था कि क्रिकेट टूर्नामेंट में बड़े घर के बेटे ही पार्टिसिपेट कर सकते हैं उन्हीं लोगों का खेल जगत में चयन हो सकता है लेकिन फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी और लगातार खेल प्रतिभाग में अपना दमखम दिखाता रहा। क्रिकेट में कुलदीप फास्ट बॉलर के नाम से अपना परचम लहरा रहा है वह अपना आदर्श फास्ट बॉलर जसप्रीत बुमराह को मानते हैं उन्हीं के आदर्शों पर चलकर क्रिकेट खेलने की मन में इच्छा पैदा हुई थी और उस मुकाम को आज कुलदीप ने हासिल भी कर लिया है। वहीं कुलदीप के इस मुकाम को देखते हुए जनपद शामली में खुशी का माहौल है। इतना ही नहीं भट्टे पर मजदूरी करने वाले कुलदीप के सहपाठी मजदूर भी बेहद खुश हैं।

 

 

रिपोर्टर – पंकज मलिक

 

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