प्रयागराज के आस्था के मेले में साइेबेरियन पक्षियों का भी कल्पवास

प्रयागराज,  तीर्थराज प्रयाग में पतित पावनी एवं मोक्ष दायिनी गंगा, श्यामल यमुना और अन्त: सलिला स्वरूप में प्रवाहित सरस्वती के त्रिवेणी के तट पर माघ मेले के दौरान कल्पवासियों के संयम, श्रद्धा एवं कायाशोधन का कल्पवास करने वाले कल्पवासियों का स्वागत करने के साइबेरियन पक्षी लिए पहले से ही संगम पहुंच चुके हैं।


त्रिवेणी के तट पर कल्पवासियों के हवन, पूजन, साधु-संतों के प्रवचन से जिस प्रकार पूरे मेला क्षेत्र में आध्यात्मिक वातावरण बना रहता है उसी प्रकार दूर देश से प्रयागराज पहुंचे साइबेरियन पक्षियों के कलरव और अठखेलियों से संगम तट गुलजार हो गया है। ऐसा लगता है कल्पवासियों की तरह साइबेरियन पक्षियाें का भी कल्पवास होता है| 

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संगम पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के साथ ही विदेशी पर्यटक भी हजारों मील से उड़कर यहां पहुंचे। संगम के जल पर विदेशी मेहमानों के कलरव और अठखेलियों को देखकर पर्यटक एवं श्रद्धालु आनन्द की अनुभूति महसूस करते हैं।

इनके पहुंचने से संगम तट के सौंदर्य में और भी निखर आया है। तट पर सुबह से लेकर शाम तक श्रद्धालुओं और पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। शाम ढ़लते यहां का नजारा और भी रमणीय हो जाता है। सात समंदर पार से आने वाले साइबेरियन पक्षियों को घाटों पर देखकर सैलानियों को सुकून मिलता है।

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