प्रियंका गांधी के बाद सुब्रमण्यम स्वामी भी! अर्थव्यवस्था पर उठाए सवाल

भारत की गिरती अर्थव्यवस्था पर जहाँ विपक्ष खुलकर आवाज़ उठा रहा है, वहीँ अब बीजेपी के अपने नेता भी इसको लेकर चिंतित नज़र आ रहे हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था की बिगड़ती स्थिति को लेकर प्रियंका गाँधी ने केंद्र सरकार पर कड़े सवाल उठाए हैं। उसके दूसरी तरफ बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने नई आर्थिक नीति पर सवाल उठाए हैं।

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने अर्थव्यवस्था को मुद्दा बनाते हुए मोदी सरकार को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है। प्रियंका गांधी ने कहा है कि ‘GDP विकास दर से साफ है कि अच्छे दिन का भोंपू बजाने वाली बीजेपी सरकार ने अर्थव्यवस्था की हालत पंचर कर दी है। न GDP ग्रोथ है, न रुपये की मजबूती। रोजगार गायब हैं। अब तो साफ करो कि अर्थव्यवस्था को नष्ट कर देने की ये किसकी करतूत है?’ इसके साथ ही प्रियंका गाँधी ने बैंक के साथ हो रहे फ्रॉड पर भी निशाना साधा है। उन्होंने लिखा कि ‘देश की सबसे बड़ी बैंकिंग संस्था RBI कह रही है कि सरकार की नाक के नीचे बैंक फ़्रॉड बढ़ते जा रहे हैं। 2018-19 में ये चोरी और बढ़ गयी। बैकों को 72,000 करोड़ रुपए का चूना लग चुका है। लेकिन वो गारंटर कौन है जो इतने बड़े फ़्रॉड होने दे रहा है?’

सुब्रमण्यम स्वामी के सवाल

सिक्के के दूसरी तरफ बीजेपी के अपने नेता भी देश की अर्थव्यवस्था को लेकर सवाल उठाने लगे हैं। बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने देश में अर्थव्यवस्था को राह पर लाने के लिए ज़रूरी सहस और ज्ञान, दोनों की कमी बता दी है। उन्होंने कहा है कि ‘नई आर्थिक नीति के बिना 5 ट्रिलियन इकोनॉमी संभव नहीं है। सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि केवल साहस या केवल ज्ञान से ही अर्थव्यवस्था को नहीं बचा सकते हैं, इसके लिए दोनों की जरूरत है। आज हमारे पास दोनों में से कोई भी नहीं है।’

पहली बार इतनी कम विकास दर

गौरतलब है कि बीते सालों में अर्थव्यवस्था को लेकर हुए सभी प्रयोग और योजनाएं बुरी तरह से विफल हुई हैं। GST और Demonetization के बाद से हर साल देश की GDP गिरती जा रही है। अगर सालाना आधार पर तुलना करें तो करीब 3 फीसदी की गिरावट है। एक साल पहले इसी तिमाही में जीडीपी की दर जो 8 फीसदी थी, वो इस साल गिरकर 5 फीसदी पर पहुंच चुकी है। जून में यह 5.8 फीसदी पर था। पिछले 7 सालों में इतनी कम विकास दर पहली बार हुई है। इसी के चलते भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्ताओं में तीसरे से गिरकर सातवीं रैंक पर जा पहुंचा है।

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