जानें महान साहित्यकार बी एल गौड़ की कहानी

इंजीनियरिंग  से अपने करियर की शुरुवात करने के बाद महान लेखक के रूप में उभरे बी एल गौड़ एक मानी जानी हस्ती हैं। इन्होंने साहित्य के जगत में कई बड़ी रचनाएं की है। 30 साल नौकरी के पेशे में रहने के बाद इन्होंने अपना खुद का साम्राज्य बनाने का निश्चय किया था, जिसे आज लोग गौड़सन्स इंडिया लिमिटेड के नाम से जानते हैं। एक बड़े साहित्यकार के रूप में उभरे बी एल गौड़ ने रचनाओं की शुरुवात करीब सन् 2005 में कर दी थी… जिसके बाद यह सिलसिला थमा नहीं।

 

बी एल गौड़ का जन्म 12 जून, 1936 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जनपद के गभाना क़स्‍बे के निकट एक छोटे से गाँव कौमला में हुआ था। गौड़ अपनी कुशाग्र बुद्धि के चलते एक प्रतिभाशाली छात्र के रूप में जाने जाते थे। इन्होंने अपनी उच्च शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय से विज्ञान के स्नातक डिग्री कर हासिल की, स्नातक के बाद गौड़ ने सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया। जिसके बाद इन्हें इंजीनियर का टैग मिला। इन्होंने अपने जीवन काल में 30 साल इंजीनियरिंग की नौकरी की। 30 वर्ष तक आप रेल विभाग की निर्माण शाखा में कार्यरत रहे तथा अपने सेवाकाल के दौरान विन्ध्यांचल के बीहड़ जंगलों के बीच सर्वे के साथ-साथ अनेकानेक रोमांचित कर देनेवाले निर्माण कार्यों को अंजाम दिए। देश की विख्यात और अग्रणी कम्पनी गौड़सन्स इंडिया लि. जिसने भवन निर्माण के क्षेत्र में एक कीर्तिमान स्थापित किया है, आप उसके चेयरमैन हैं। उसके बाद इन्होंने इटालियन भाषा में डिप्लोमा प्राप्त किया, और उसके बाद फिर ‘हिन्दी साहित्य रत्न’ की उपाधि प्राप्त कर एक महान साहित्यकार के रूप में माने जाने लगे।

बी एल गौड़ की प्रमुख कृतियाँ हैं—‘थोड़ी-सी रोशनी’, ‘दूसरी काव्याकृति’, ‘आखिर कब तक’, ‘कब पानी में डूबा सूरज’, ‘एक दिन यूँ ही’, ‘जाती हुई धूप’ (कविता-संग्रह); ‘तंत्र के पंजों में लोकतंत्र’, ‘लोकतंत्र में खोया लोकतंत्र’, ‘यथार्थ से संवाद’ (मीडिया); ‘मीठी ईद’ (कहानी-संग्रह); ‘नींद से नाली तक’ (सिविल इंजीनियरिंग पर पहली बार हिन्‍दी में प्रकाशित पुस्‍तक) आदि। साथ ही गौड़ एक समाचार-पत्र ‘गौड़सन्स टाइम्स’ के सम्‍पादक भी हैं तथा गीत-काव्य को समर्पित संस्था ‘गीताभ’ के संरक्षक भी हैं।

गौड़ के समाज सेवक भी है, यह अपने स्वर्गीय बेटे डॉ. राकेश गौड़ के नाम से स्थापित
‘डॉ. राकेश गौड़ चैरिटेबल ट्रस्ट’ के मुख्य ट्रस्टी हैं।

गौड़ (हिन्दी अकादमी) दिल्ली सरकार की गवर्निंग बॉडी में सदस्य के रूप में मनोनीत किए गए हैं और अन्तरराष्ट्रीय सहयोग परिषद (भारत) के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट भी चुने जा चुके हैं। अपने प्रभावशाली तरीकों से आज बीएल गौड़ साहित्य की दुनिया में जाना माना चेहरा बन चुके है, इनकी पुस्तकें पूरे भारत में प्रसिद्ध हैं, साथ ही लोग इन्हें एक समाज सेवक के रूप में भी जानते हैं।

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