दिलचस्प है छोटे चौधरी की कहानी, गुरु मानते थे मुलायम सिंह यादव

नेताजी के छोटे चौधरी आज ज़िंदा होते तो शायद ये नौबत न आती… ये वो सभी लोग कह रहे हैं जो नेताजी मुलायम सिंह यादव और छोटे चौधरी हरमोहन सिंह यादव के रिश्तों को जानते हैं। जी हाँ, शौर्य चक्र से सम्मानित वहीँ छोटे चौधरी हरमोहन सिंह यादव, जिन्हे मुलायम सिंह यादव अपने बड़े भाई की तरह नहीं, बल्कि भाई गुरु मानते थे। यहाँ तक कि मुलायम सिंह को राजनीति की बारीकियां हरमोहन सिंह ने सिखाई थीं। वे उनकी इतनी इज़्ज़त करते थे कि छोटे चौधरी के निधन के बाद लोगों और पार्टी के कई नेताओं का मानना है कि छोटे चौधरी आज जीवित होते तो यादव परिवार के बीच छिड़ी जंग को वह महज दो मिनट में सुलझा देते।

मुलायम सिंह यादव जब भी कानपुर आते तो अपने गुरू भाई हरमोहन सिंह यादव से मिलने जरूर आते थे। राजनीतिक मामलों में नेताजी ने कभी भी छोटे चौधरी की बात को नहीं टाला। माना जाता है कि मेहरबान सिंह के पुरवा कभी समाजवादी पार्टी की राजनीति का धुरी हुआ करता था। सियासत के कई अहम फैसले यहीं से हुआ करते थे। 2012 विधानसभा चुनाव में भी चौधरी की चौखट से एक दर्जन कैंडीडेटों के नाम मुलायम सिंह के पास भेजे गए थे, जिन्हें सपा ने बेझिझक टिकट देकर लड़ाया गया था।

अखिलेश यादव का नाम भी सुझाया था इन्होने

यहाँ तक कि जब अखिलेश यादव के नेतृत्व में यूपी इलेक्शन में सपा की ऐतिहासिक जीत हुई थी तब नेता जी ने छोटे चौधरी को फोन पर जानकारी दी थी। चौधरी साहब उस समय काफी बीमार थे। नेता जी ने चौधरी साहब से यूपी के सीएम के नाम पर उनका मत जाना तो उन्होंने बेबाक अखिलेश यादव का नाम सुझाया था। मुलायम सिंह ही नहीं, बल्कि अखिलेश यादव भी चौधरी साहब की काफी इज्जत करते थे और सीएम बनने के बाद अपनी पत्नी समेत उनका आशीर्वाद लेने मेहरबान सिंह पुरवा आए थे। वहीँ मुलायम सिंह ही चौधरी परिवार के हर व्यक्ति को राजनीति में लाए और ओहदेदार पदों पर बिठाया।

आपको बता दें कि छोटे चौधरी हरमोहन सिंह यादव का जन्म 18 अक्टूबर 1921 को हुआ था। छोटे चौधरी की पहली बार मुलायम सिंह से मुलाक़ात तब हुई थी जब मुलायम सिंह यादव सिर्फ 15 साल के थे। 1954 में छोटे चौधरी ने डॉ. राम मनोहर लोहिया के आह्वान पर ‘नहर रेट आंदोलन’ में भाग लिया और पहली बार जेल गए थे। इसी दौरान मुलायम सिंह यादव की मुलाकात हरमोहन सिंह यादव से हुई। मुलायम सिंह हरमोहन सिंह को अपना गुरू भाई मानने लगे और इन्हीं के बताए रास्ते पर चल पड़े।

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