चारधाम यात्रा में अव्यवस्थाओं को लेकर हाईकोर्ट हुआ सख्त, सरकार से मांगा जवाब

चारधाम यात्रा में फैली अव्यवस्थाओं और लगातार हो रही घोड़ों की मौत पर नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. हाई कोर्ट ने 600 से अधिक घोड़ों की मौत पर केंद्र

नैनीताल. चारधाम यात्रा में फैली अव्यवस्थाओं और लगातार हो रही घोड़ों की मौत पर नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. हाई कोर्ट ने 600 से अधिक घोड़ों की मौत पर केंद्र और राज्य समेत चारधाम यात्रा के जिलों के डीएम को नोटिस जारी किए हैं और 22 जून तक जवाब मांगा है. इस मामले में कार्यवाहक चीफ जस्टिस ने सरकार से पूछा है कि चारधाम यात्रा के लिए क्या व्यवस्थाएं की गई हैं और क्यों ना इस यात्रा के लिए एक कमेटी का गठन कर दिया जाए. कोर्ट ने राज्य में डॉक्टरों की कमी पर भी टिप्पणी की है और कहा कि राष्ट्रीय मानक के अनुसार ना तो जानवरों के डॉक्टर है ना ही इंसानों के.

चारधाम यात्रा में अब तक 600 घोड़ों की मौत

बता दें कि समाजसेवी गौरी मौलेखी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर कहा है कि चारधाम यात्रा में अब तक 600 घोड़ों की मौत हो गई, जिससे उस इलाके में बीमारी फैलने का खतरा बन गया है. याचिका में कहा गया है कि जानवरों और इंसानों की सुरक्षा के साथ उनको चिकित्सा सुविधा दी जाए. इसके साथ ही याचिका में कहा गया है कि चारधाम यात्रा में भीड़ लगातार बढ़ती जा रही है, जिससे जानवरों और इंसानों को खाने और रहने की दिक्कतें आ रही हैं. ऐसे में कोर्ट से मांग की गई है कि यात्रा में कैरिंग कैपेसिटी के हिसाब से भेजा जाए. यहां उतने ही लोगों को अनुमति दी जाए, जितने लोगों को खाने-पीने और रहने की सुविधा मिल सके.

केंद्र और राज्य सरकार को पत्र लिखे

याचिकाकर्ता गौरी मौलेखी ने कहा कि चारधाम यात्रा के दौरान इस अव्यवस्था पर उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार को पत्र लिखे, लेकिन राज्य सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया. वह कहती हैं, ‘लोगों को आने-जाने में दिक्कतें हो रही है. खाने-पीने की भी प्रॉब्लम श्रद्धालुओं को होने से लोग परेशान हैं.’

यात्रा में जबरन कई चक्कर लगवाए

गौरी ने कहा कि सरकार को नोटिस के साथ कोर्ट ने कई बातें पूछी भी हैं, जिनपर 22 जनवरी को सुनवाई होगी. गौरी मौलेखी ने कहा कि कई सालों से घोड़ों-खच्चरों का प्रयोग यात्रा में हो रहा है, लेकिन कोई नीति नहीं बनी है. सरकार से मांग है कि एक नीति तैयार करें.याचिकाकर्ता ने कहा कि बीमार घोड़ों को भी यात्रा में जबरन कई चक्कर लगवाए जा रहे हैं. अगर इनकी मौत हो रही है तो उनको पवित्र नदियों के डाला जा रहा है, जिससे प्रदूषण फैलाने का खतरा भी है. उन्होंने कहा कि अराजकता जो फैली है उसको कंट्रोल में लाने के लिए उनको कोर्ट आना पड़ा जिस पर कोर्ट ने नोटिस जारी किए हैं.

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