PhD में एडमिशन लेने वालों को एक्सपर्ट्स ने दी ये सलाह, पढ़ें डिटेल

नई दिल्ली. Career Guidance:  दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) समेत देश के तमाम केंद्रीय और राज्यों के विश्वदियालयों (Univesities) के कई कोर्सेज में शैक्षणिक सत्र 2021-22 के लिए दाखिला प्रक्रिया (Admission Process) शुरू हो चुकी है. इन कोर्सेज में डॉक्टर ऑफ़ फिलोसफी यानि पीएचडी (PhD) कोर्स भी शामिल है. पोस्ट ग्रेजुएशन (Post Graduation) के बाद तमाम स्टूडेंट्स इस कोर्स के लिए काफी उत्साहित रहते हैं. लेकिन एक्सपर्ट्स Experts) का कहना है कि स्टूडेंट्स को PhD कोर्स में एडमिशन के लिए जहाँ तक हो सके सरकारी यूनिवर्सिटीज (Government Universities) को ही प्राथमिकता देनी चाहिए. इसके तीन प्रमुख कारण हैं. चलिए जानते हैं कि क्या हैं ये 3 कारण.

1. कोर्स की मान्यता और उसकी औथेंटीसिटी:
एक्सपर्ट्स के मुताबिक आप किसी भी यूनिवर्सिटी से पीएचडी (PhD) करना चाहते हैं तो सबसे पहले उसकी मान्यता (Recognisation) जरुर चेक करें. इस मामले में सरकारी यूनिवर्सिटीज आपके लिए सबसे बेहतर (Better) साबित होंगी. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि सरकारी यूनिवर्सिटीज UGC के निर्देशानुसार ही कोई भी एडमिशन करती हैं. ऐसे में वहां रिस्क (Risk) कि गुंजाइश न के बराबर रहती है. जबकि अन्य प्राइवेट यूनिवर्सिटीज में इसका खतरा ज्यादा रहता है. इसलिए पीएचडी के लिए सरकारी यूनिवर्सिटी का ऑप्शन (Option) ज्यादा सेफ और ऑथेंटिक (Authentic) है.

2. डिग्री की क्वालिटी (Quality of Education):
एक्सपर्ट्स के अनुसार कोई भी सरकारी यूनिवर्सिटी अपनी एजुकेशन और डिग्री के साथ समझौता नहीं करती. यही कारण है कि डिग्री के बाद आप जब भी प्राइवेट या सरकारी, किसी भी यूनिवर्सिटी में जाते हैं तो वहां सरकारी यूनिवर्सिटी कि डिग्री को पहले वरीयता दी जाती है. इस लिहाज से भी सरकारी यूनिवर्सिटीज पीएचडी के लिए ज्यादा बेहतर और सुरक्षित विकल्प है.

एक्सपर्ट्स के मुताबिक फीस स्ट्रक्चर के लिहाज से देखा जाए तो भी स्टूडेंट्स के लिए सरकारी यूनिवर्सिटी का विकल्प ज्यादा बेहतर है. इसका सबसे बड़ा कारण है कि प्राइवेट और सरकारी यूनिवर्सिटी कि फीस में 3 से 4 गुना का अंतर है. किसी भी स्टूडेंट के लिए फीस का अमाउंट हमेशा मायने रखता है. इस लिहाज से सरकारी यूनिवर्सिटीज का विकल्प हर लिहाज से स्टूडेंट्स के लिए ज्यादा बेहतर है.

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