H3N2 वायरस का कम उम्र के बच्चों को अधिक खतरा, डॉक्टर्स ने दी चेतावनी।

नई दिल्ली: डॉक्टरों का कहना है कि कम उम्र के बच्चों में H3N2 वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। गंभीर रूप से संक्रमित बच्चों को आईसीयू में भी रखना पड़ रहा है। जिन बच्चों को पहले से ही कोई बीमारी है, उनके लिए संक्रमण और खतरनाक हो रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि साफ-सफाई और टीकाकरण के जरिए बच्चों को इससे बचाया जा सकता है।

तेजी से बढ़ रहे H3N2 वायरस के मामलों ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों की नींद उड़ा दी है। इसी बीच डॉक्टरों ने कहा है कि पांच साल से कम उम्र को बच्चों में यह वायरस तेजी से फैल रहा है। कम उम्र के बच्चों में संक्रमण का गंभीर रूप देखने को मिल रहा है और बच्चों को आईसीयू में रखने की नौबत तक आ रही है। खतरे वाली बात यह है कि इस संक्रमण में दवा का भी असर नहीं हो रहा। डॉक्टर सलाह दे रहे हैं कि इस संक्रमण में एंटिबायोटिक दवाओं के अनावश्यक इस्तेमाल से बचने की जरूरत है।

गोदरेज मेमोरियल हॉस्पिटल, मुंबई में एमबीबीएस एमडी, सीनियर कंसल्टेंट-पीडियाट्रिक्स डॉ. पंकज दत्त टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में कहते हैं, ‘बच्चों के लिए एच3एन2 की जटिलताएं काफी गंभीर हो सकती हैं। फ्लू के विशिष्ट लक्षणों जैसे बुखार, खांसी और गले में खराश के अलावा, बच्चों को उल्टी, दस्त और पानी की कमी, गंभीर कमजोरी, सुस्ती का भी अनुभव हो सकता है।’

गंभीर मामलों में बच्चों की मौत हो सकती है

डॉक्टर आगे कहते हैं, ‘इससे रिकवरी में थोड़ा अधिक समय लग जा रहा है। इसका संक्रमण होने के बाद बच्चों में निमोनिया या सांस की दूसरी बीमारियों का खतरा अधिक हो सकता है। जिससे अस्पताल में भर्ती होने और गंभीर मामलों में मृत्यु भी हो सकती है।’

बचाव

मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, शालीमार बाग में बाल रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ परविंदर सिंह नारंग कहते हैं कि स्वच्छता और टीकाकरण के जरिए बच्चों को संक्रमण से बचाया जा सकता है।

उन्होंने बताया, ‘आमतौर पर बच्चे ठीक हो जाते हैं लेकिन अगर उनमें संक्रमण होता है तो वो दूसरों में वायरस फैलाने का एक स्रोत बन जाते हैं। जिन बच्चों में पहले से ही कोई बीमारी है जैसे निमोनिया, हृदय रोग या शारीरिक रूप से वो अक्षम हैं, उनमें इस वायरस का संक्रमण गंभीर हो सकता है। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि हम अच्छी स्वच्छता और टीकाकरण से इस फ्लू से बचाव करें।’

लक्षण

डॉ नारंग के अनुसार, तेज बुखार, बदन दर्द और सिरदर्द H3N2 के मुख्य लक्षण हैं। संक्रमण गंभीर होने पर सांस संबंधी परेशानियां शुरू होती हैं। वो कहते हैं, ‘H3N2 का संक्रमण होने के बाद इसके लक्षणों को पहचानना बहुत जरूरी है और एंटीबायोटिक दवाओं का कोई अनावश्यक उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।’

डॉक्टर का कहना है कि एंटिबायोटिक दवाओं को लेने की जरूरत ही नहीं है क्योंकि फ्लू एक वायरल बीमारी है जो अपने आप ठीक हो जाती है। एंटीवायरल दवाएं संक्रमण के पहले दो दिनों मेंली जाए तो लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है। हालांकि, डॉक्टर का कहना है कि ये दवाएं भी उन बच्चों को दी जानी चाहिए जो पहले से ही किसी बीमारी से जूझ रहे हैं। वो कहते हैं कि बच्चों को H3N2 से बचाने के लिए टीकाकरण और स्वच्छता सबसे जरूरी है।

डॉ पंकज कहते हैं कि माता-पिता को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि उनके बच्चे में फ्लू के लक्षण बिगड़ तो नहीं रहे। जैसे- अगर उन्हें सांस लेने में परेशानी हो रही हो, सीने में दर्द हो, गंभीर सिरदर्द, बुखार जो तीन दिन दिनों से अधिक समय से है, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

बच्चों में H3N2 से बचाव के लिए टीकाकरण कितना जरूरी?

इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्सके मुताबिक, 5 वर्ष से कम आयु के सभी बच्चों के लिए फ्लू से बचाव का टीकाकरण जरूरी है। 6 महीने से 5 वर्ष तक के बच्चों में टीकाकरण किया जाना चाहिए। बच्चे के पहले साल में उसे फ्लू के दो टीके दिए जाने चाहिए और उसके बाद हर बरसात से पहले फ्लू का टीका दिया जाना चाहिए। H3N2 के मामले में, फ्लू का टीकाकरण बहुत प्रभावी नहीं है लेकिन फिर भी टीकाकरण से लक्षणों को कम करने में मदद मिलगी।

-BY VIDHI

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