बसपा का कांग्रेस में हुआ विलय, अशोक गहलोत सरकार का जश्न

राजस्थान में बहुजन समाज पार्टी(Bahujan Samaj Party) को बड़ा झटका लगा है। राजस्थान में बसपा(Bahujan Samaj Party) के सभी छह विधायको ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया हैं। नगर निकाय व पंचायत चुनावों से पहले ऐसा फेरबदल ऐतिहासिक है। इसे राज्य की अशोक गहलोत(Ashok Gahlot) सरकार के लिए बड़ी राजनीतिक सफलता के रूप में देखा जा रहा है।

राजस्थान में बसपा के छह विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी को सोमवार देर रात एक पत्र सौंपा। विधायकों ने बिना शर्त कांग्रेस में शामिल होने की बात कही है। राज्य में बसपा(Bahujan Samaj Party) के छह विधायक राजेंद्र सिंह गुढ़ा (उदयपुर वाटी), जोगेंद्र सिंह अवाना (नदबई), वाजिब अली (नगर), लाखन सिंह (करौली), संदीप कुमार (तिजारा) और दीपचंद खेरिया (किशनगढ़ बास) थे।

रात को बदली सदस्यता

विधानसभा अध्यक्ष ने देर रात बताया कि ”बसपा विधायकों ने उनसे मुलाकात की और एक पत्र उन्हें सौंपा है।’ जानकारी के अनुसार बसपा के सभी छह विधायक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत(Ashok Gahlot) के लगातार संपर्क में थे। सोमवार रात वे कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। इस बारे में बसपा(Bahujan Samaj Party) के विधायकों से बात नहीं हो पाई। उनके अनुसार बसपा विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के कदम से अशोक गहलोत(Ashok Gahlot) सरकार संख्या बल के आधार पर और अधिक मजबूत होगी। 200 सीटों वाली राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस के 100 विधायक हैं। वहीँ उसके सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के पास एक विधायक है। इस तरह सरकार बहुमत में है।

कांग्रेस की बनी बहुमत

इसके अलावा राज्य के 13 निर्दलीय विधायकों में से 12 विधायक कांग्रेस को बाहर से समर्थन देने की घोषणा कर चुके है। वहीँ दिसंबर में विधानसभा चुनाव के बाद बसपा प्रमुख मायावती ने कांग्रेस को बाहर से समर्थन देने की घोषणा की थी। इस विलय के बाद संख्या बल के हिसाब से राज्य विधानसभा में कांग्रेस के 106 जबकि बीजेपी के 72 विधायक हैं। वहीँ माकपा, आरएलपी व बीटीपी के दो दो विधायक हैं। इसके अलावा 13 विधायक निर्दलीय हैं और दो सीटें खाली हैं। बता दें, राज्य में नवंबर में राज्य की 52 नगरपालिकाओं के 2455 वार्डों के चुनाव होने हैं। इसके बाद जनवरी में पंचायत के महत्वपूर्ण चुनाव भी हैं। इसके अलावा मंडावा व खींवसर विधानसभा सीट पर उपचुनाव भी होंगे।

10 साल बाद दोहराया इतिहास

गौरतलब है कि बसपा के सभी 6 विधायकों के कांग्रेस में शमिल होने से इतिहास दोहराया गया है। लगभग दस साल पहले 2009 में अशोक गहलोत(Ashok Gahlot) के पहले कार्यकाल के दौरान भी कुछ ऐसी ही स्थिति थी। तत्कालीन कांग्रेस सरकार स्पष्ट बहुमत के जादुई आंकड़े से पांच कम थी। ऐसे में बसपा(Bahujan Samaj Party) के सभी छह विधायक कांग्रेस से जुड़ गए थे। जिससे कांग्रेस में बहुमत के लिए विधायकों की कमी पूरी हो गयी थी।

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