बाहुबली अखंड प्रताप सिंह ने छोड़ा BSP का साथ, सपा की बढ़ी मुश्किले

अंखंड प्रताप सिंह ने बसपा का दामन छोड़कर संजय निषाद की पार्टी का थामा हाथ

आजमगढ़. यूपी में होने वाले चुनाव को लेकर सियासत गरमा गई है। इस चुनावी माहौल में नेता अपनी  पार्टिया बदल रहे है। ऐसे में सबसे ज्यादा बीएसपी के नेताओं ने उसका साथ छोड़ा है। बता दे आजमगढ़ से तीन विधायको के बाद बसपा के एक और नेता पूर्व ब्लॉक प्रमुख व अतरौलिया विधानसभा से चुनाव लड़ चुके अंखंड प्रताप सिंह ने बसपा का दामन  छोड़कर संजय निषाद की पार्टी का हाथ थाम लिया है। पूर्व प्रमुख के निषाद पार्टी में जाते ही जिले की अतरौलिया सीट का समीकरण भी बिगड़ गया।

पूर्व प्रमुख अंखड प्रताप सिंह तीसरे स्थान पर रहे

आजमगढ़ जिले की अतरौलिया विधानसभा की सीट बहुत ही महत्व रखती है। इस सीट पर सपा के कद्दावार नेता व पूर्व मंत्री बलराम यादव का कब्जा रहा है। यह अलग बात है कि वह लगातार इस सीट पर कब्जा करने में नाकाम रहे। लेकिन वर्ष 2012 में उन्होने यह सीट अपने पुत्र डॉ  संग्राम सिंह यादव के लिए छोड़ दिया। संग्राम यादव यहां से पहली बार चुनाव लड़े और विजयी हुए. वर्ष 2017 के चुनाव में संग्राम यादव, भाजपा के कन्हैया निषाद और बसपा से पूर्व ब्लाक प्रमुख अंखड प्रताप सिंह चुनावी मैदान में उतरे. पूर्व प्रमुख के चुनावी मैदान में उतरने से चुनाव दिलचस्प हो गया। चुनाव परिणाम आने पर डॉ संग्राम यादव को 74276 मत मिला. बीजेपी के कन्हैया निषाद को 71809 तो बसपा से पूर्व प्रमुख अंखड प्रताप सिंह 56536 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे।

वंदना सिंह सपा की बढ़ा सकती है मुश्किलें

निषाद पार्टी में शामिल होने के बाद उनकी पत्नी वंदना सिंह अब निषाद पार्टी से अतरौलिया विधानसभा से टिकट मांग रही है। समझौते के मुताबिक अगर निषाद पार्टी अतरौलिया विधानसभा सीट से पूर्व ब्लॉक प्रमुख अंखड सिंह की पत्नी को चुनावी मैदान में उतारती है तो यहां बीजेपी अपना प्रत्याशी चुनावी मैदान में नहीं उतारेगी। समीकरण के हिसाब से सर्वण, निषाद और बीजेपी के वोट पूर्व ब्लॉक प्रमुख की पत्नी की नैया पार कर सकती है। वहीं समाजवादी पार्टी के वर्तमान  विधायक डॉ संग्राम सिंह यादव के लिए पूर्व प्रमुख वंदना सिंह मुश्किल खड़ी कर सकती है। वही 2017 में सपा को हार का सामना करना पड़ा था।

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