शिवपाल यादव की अपील, सुभाष वादी और लोहिया वादी एक हों

  • प्रसपा सुभाष सप्ताह मनाएगी
  • सुभाष के समाजवाद पर चर्चा जरूरी-देवब्रत विश्वास
  • सुभाषवादी और लोहियावादी एक हों- शिवपाल यादव
  • हरिपुरा उद्बोधन की प्रतियां बंटवाएगी बौद्धिक सभा – दीपक मिश्र

 

 

लखनऊ:

प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) 17 जनवरी से सुभाष जयंती (23 जनवरी) तक सुभाष सप्ताह मनाएगी। सुभाष सप्ताह की शुरुआत फारवर्ड ब्लॉक के महासचिव व संसदीय मामलों के विशेषज्ञ देवब्रत विश्वास एवं शिवपाल सिंह यादव ने ’स्वातंत्र्यवीर सुभाष’ का विमोचन करते हुए किया। पुस्तक के लेखक नेताजी सुभाष के सहयोगी रहे आजाद हिंद फौज के सिपाही बाबा भारद्वाज हैं और इसका संपादन बौद्धिक सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष दीपक मिश्र ने किया है। इस अवसर पर ’सुभाष की प्रासंगिकता’ विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

संगोष्ठी को संबोधित करते हुए देवब्रत विश्वास ने कहा कि नेताजी बोस आज अपने जीवन काल से भी अधिक प्रासंगिक हैं। सुभाष दा ने राष्ट्रीय एकता के लिए जो सूत्र व सिद्धांत दिए थे उन पर चलना होगा। सुभाष चंद्र बोष ने राष्ट्रवाद को कभी हिंदू, मुस्लिम, सिख जैसे धार्मिक व दूसरी अस्मिताओं के खांचो में नहीं बांटा। उनका नाम लेकर कुछ लोग राष्ट्रवाद की आड़ में भारतीय जनमानस में जहर घोल रहे हैं। सुभाष का भारतीय जनमानस पर जो प्रभाव 19 वीं सदी के प्रारम्भ में था, वही आज भी है। सुभाष दा जितने बड़े क्रांतिकारी व संगठक थे, उतने ही बड़े लेखक व चिंतक भी थे। उनके चिंतन पर अपेक्षाकृत कम चर्चा हुई है । यह काम हमारी पीढ़ी के सुभाषवादियों व समाजवादियों को पूरी प्रतिबद्धता से करना होगा ताकि नई पीढ़ी नेताजी के चिंतन व चिंताओं से अवगत हो सके। विभाजनकारी और संकुचित सांप्रदायिकता से हम सुभाष के रास्ते पर चलकर ही लड़ सकते हैं। गांधी सुभाष लोहिया की साझा विरासत ही देश को समावेशी व सतत विकास दे सकती है।

प्रसपा प्रमुख शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि सुभाष बाबू एक प्रतिबद्ध व प्रगतिशील समाजवादी थे। उन्होंने भारत में शोषण विहीन समतामूलक समाजवादी समाज की स्थापना का सपना देखा था। सुभाष दा और लोहिया जी में काफी समानताएं थीं। नेताजी ने आजाद हिंद फौज तो लोहिया ने 42 आजाद दस्ता बना कर आजादी की लड़ाई संगठित रूप में लड़ी थी। नेताजी सुभाष चंद्र बोस व लोहिया जी एकमत थे कि भारत की सभी राष्ट्रीय समस्याओं को समाजवादी आधार पर ही प्रभावशाली ढंग से सुलझाया जा सकता है। नेताजी ने हरिपुरा अधिवेशन में समाजवाद की खुली पैरवी की थी। नेताजी व लोहिया जी के लगाव एवं वैचारिक साम्य पर प्रसपा सप्ताह भर बहस चलाएगी। 23 जनवरी को नेताजी की जयंती पर सुभाष सप्ताह का समापन प्रसपा शिविर कार्यालय में होगा।

बौद्धिक सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष दीपक मिश्र ने कहा कि बौद्धिक सभा 19 फरवरी 1938 को हरिपुरा में दिए गए नेताजी के ऐतिहासिक उद्बोधन की 123 हजार प्रतियां उनके 123 जन्मदिन के अवसर पर बंटवाएगी। सुभाष व लोहिया के जीवन-दर्शन से पता चलता है कि भारतीय संदर्भ में राष्ट्रवाद व समाजवाद एक-दूसरे के प्रतिपूरक और पर्याय हैं। जिन लोगों ने राष्ट्रवाद और समाजवाद को नहीं पढ़ा, नेताजी व लोहिया का नहीं पढ़ा, वही लोग राष्ट्रवाद व समाजवाद को लेकर भ्रम फैलाते हैं।

संगोष्ठी को प्रसपा नेत्री संगीता यादव, वरिष्ठ नेता राकेश सिंह, प्रवक्ता इरफान मलिक व अजय राय समेत कई वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किये।

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