किसान आंदोलन सरकार के खिलाफ बना सिरदर्द, चुनावी राज्यों में दिख सकता है असर !

दिल्ली (Delhi) की सीमा के चारों ओर देश के किसान आंदोलन (Farmers protest) कर रहे हैं। इस किसान आंदोलन की चर्चा देश-दुनिया में हो रही हैं, ऐसे में किसानों के लिए इस आंदोलन को गैर राजनीतिक रख पाना मुश्किल हो रहा है। शुरुआत में हो किसान इसमें कामयाब हुए थे, मगर अब आने वाले राज्यों में चुनावों को देखते हुए कई विपक्षी पार्टियों के नेता किसानों के आंदोलन में बहुत रहे हैं और सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं।

आने वाले राज्यों में दिखेगा असर 
बता दें आने वाले दिनों में उत्तरप्रदेश, पंजाब और हरियाणा समेत पश्चिम उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों में चुनाव आने वाले हैं, ऐसे में किसानों ने भी 6 फरवरी को पूरे देश में चक्का जाम कर देने का ऐलान किया है। इसका ऐलान करने के बाद विपक्षी पार्टियों किसानों में अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए एक-एक करके किसानों को अपना समर्थन दे रही हैं। धरना स्थल पर लगातार किसान आ रहे हैं। जिसमें शिअद, एनसीपी, डीएमके, टीएमसी और आईयूएमएल जैसी पार्टियों के नेता भी शामिल हैं।

पंजाब में होगा टेस्ट

बता दें पंजाब में आने वाले कुछ दिनों में नगर निगम चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में किसान आंदोले के बाद इसे कभी बीजेपी के साथ रहने वाली पार्टी शिरोमणि अकाली दल के लिए टेस्ट  माना जा रहा है। इन चुनावों के बाद यह साफ हो जाएगा कि पंजाब में आने वाले विधानसभा चुनावों में पासा किसके हित में पलटेगा। इन चुनावों में कांग्रेस, शिअद और आप अपनी पूरी ताकत झौंकने वाले हैं।

शरद पवार ने दिया था अपना समर्थन 
महाराष्ट्र में शरद पवार की पार्टी एनसीपी में किसानों में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है, पार्टी के प्रमुख नेता शरद पवार ने महाराष्ट्र के आजाद मैदान में हुई रैली में हिस्सा लेकर अपना समर्थन दिया था। इसके अलावा सुप्रिया सुले भी गाजीपुर किसान आंदोलन में  लोगों से मिलने गई थी। माना जा रहा है कि पार्टी यह सारी कवायद राज्य में किसानों में कम होती अपनी पकड़ को फिर से मजबूत करना चाहती है।

गौरतलब है कि आने वाले समय में पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, के में भी विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। जिसमें तमिलनाडु में एआईडीएमके के साथ बीजेपी का गठबंधन है। देखना होगा कि तमिलनाडू में किसान आंदोलन के बाद बीजेपी और एआईडीएमके को कितना नुकसान होने वाला है। बता दें राज्य में एक बड़ी आबादी में किसान  कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं।

 

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