क्यों से दूर होते जा रहे हैं दर्शक, कहीं आयोजकों की गलती तो नहीं

20 लाख रुपए के सरकारी अनुदान सहित कुल 25 लाख रुपए के बजट में संगीत नाटक अकादेमी व एनएसडी का सहयोग लेने के बावजूद इस समारोह को इतनी ठंड में खुले मंच पर किया गया।

नई दिल्ली। कला ऋषि बाबा योगेंद्र राष्ट्रीय बहुभारतीय नाट्य समारोह सात से 14 जनवरी 2023 तक शाम 5.30 बजे से 8.30 तक संगीत नाटक अकादमी के मेघदूत ओपन थिएटर प्लेटफार्म व राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के सम्मुख सभागार में आयोजित किया गया। यह नाट्य समारोह संस्कार भारती के संस्थापक कलाश्री योगेंद्र बाबा के जीवन को समर्पित किया गया था, जिसके लिए संस्कृति मंत्रालय ने 20 लाख रुपए का अनुदान इसके आयोजक अपस्टेज आर्ट ग्रुप को दिया था। नियमानुसार ऐसे कार्यक्रम में सरकारी अनुदान राशि का 25 प्रतिशत हिस्सा आयोजक को अपने पास से खर्च करना होता है। आज इस नाट्य समारोह का समापन हुआ है। दिलचस्प है कि इस समारोह का आयोजन खुले वातावरण में किया गया, जबकि दिल्ली में शीतलहर चल रही है इन दिनों। ऐसे में खुले आसमान में बैठकर नाटक का आनंद लेने के लिए कितने दर्शक आए होंगे, इसकी कल्पना की जा सकती है। गौरतलब है कि इसका आयोजन अपस्टेज आर्ट ग्रुप के संस्थापक रोहित त्रिपाठी ने किया है। सात जनवरी को मंचित नाट्य नृत्य ’प्रकृति संस्कृत्यि की निर्देशक चंद्रकांता त्रिपाठी की पत्नी हैं। 13 जनवरी को मंचित नाटक ’कथा एक कंस की्य के निर्देशक खुद रोहित त्रिपाठी थे। 14 जनवरी को मंचित नाटक ’वन्स इन इंडिया्य की निर्देशक आयुषी त्रिपाठी, रोहित त्रिपाठी की बेटी हैं। कुल नौ नाटकों में से तीन नाटकों का मंचन रोहित त्रिपाठी के अपने परिवार द्वारा ही किया गया।
गौर करने वाली बात यह है कि 20 लाख रुपए के सरकारी अनुदान सहित कुल 25 लाख रुपए के बजट में संगीत नाटक अकादेमी व एनएसडी का सहयोग लेने के बावजूद इस समारोह को इतनी ठंड में खुले मंच पर किया गया। ऐसा लगता है कि सरकारी पैसे का पूरा सदुपयोग दर्शकों को बुलाने में नहीं किया गया, बल्कि अनुदान लेने के लिए संस्कार भारती के कलाऋषि बाबा योगेंद्र के नाम का दुरुपयोग किया गया। इतना ही नहीं बाबा योगेंद्र के नाम पर दूसरे वर्ष होने वाले नाट्य समारोह के लिए इसी संस्था को 15 लाख रुपए का बजट मंजूर किया गया है। संस्कार भारती खुद एक सम्मानित सांस्कृतिक संस्था है और वह खुद इस तरह के बड़े-बड़े आयोजन करती आ रही है। और यह तो उनके संस्थापक का आयोजन था। वह खुद यह आयोजन करती, तो ज्यादा संख्या में दर्शक देखने आते और संस्कार भारती के बारे में जान पाती।

Related Articles

Back to top button