अखिलेश यादव का ये करीबी नेता कर रहा है पिछड़ों के हित में बड़ी प्लानिंग, जानिए क्या है मामला

प्रेस कांफ्रेंस में शिवपाल यादव ने कहा कि हम लोगों की सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ेंगे। समाज में अगड़ी-पिछड़ी सभी जातियों को परेशानी

प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने गुरुवार, 1 सितंबर को यादव तथा अन्य पिछड़ी जातियों को एकजुट करने का ऐलान किया। बता दें कि शिवपाल और उनके सहयोगियों ने इस अभियान को ‘यदुकुल पुनर्जागरण मिशन’ का नाम दिया है। इसके जरिए प्रसपा यूपी में अपनी राजनीति को धार देने का काम करेगी और साथ ही शिवपाल यादव की पार्टी जातीय गणना, अहीर रेजीमेंट, यदुकुल पुनर्गठन, किसानों की MSP के लिए लड़ाई लड़ेगी।

बता दें कि यूपी विधानसभा चुनाव के बाद शिवपाल यादव सपा की तरफ से स्वतंत्र कर दिये गये हैं। ऐसे में वो अब अपनी पार्टी को मजबूत करने में लगे हैं। वहीं यदुकुल पुनर्जागरण मिशन के तहत उन नेताओं को भी साथ लाने की कवायद है जो सपा में उपेक्षित चल रहे हैं। शिवपाल यादव ने गुरुवार को लखनऊ में अपने मिशन को लेकर एक प्रेस कांफ्रेंस की। इस दौरान पूर्व सांसद बाहुबली और मुलायम सिंह के कभी करीबी रहे डीपी यादव भी मौजूद रहे।

प्रेस कांफ्रेंस में शिवपाल यादव ने कहा कि हम लोगों की सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ेंगे। समाज में अगड़ी-पिछड़ी सभी जातियों को परेशानी है। शिवपाल यादव ने इस मिशन के तहत पांच सूत्र बताए। उन्होंने कहा कि जातीय गणना, बेरोजगारी, अहीर रेजीमेंट, किसानों की एमएसपी और यदुकुल पुनर्गठन जैसे मुद्दों पर हम अपना मिशन चलाकर समाज को जगाने का काम करेंगे। हम संघर्ष करने के लिए तैयार हैं।

शिवपाल यादव ने कहा कि जितने भी उपेक्षित लोग हैं, सबको एकसाथ लाएंगे और इस मिशन को मजबूत करेंगे। उन्होंने कहा कि हम तोड़ने नहीं, बल्कि जोड़ने आए हैं। शिवपाल ने कहा कि हमारा प्रयास होगा कि नेताजी(मुलायम सिंह यादव) चुनाव लड़ें, हम उन्हें फिर जिताएंगे।

वहीं लखनऊ में यदुकुल पुनर्जागरण मिशन के अध्यक्ष डी. पी. यादव ने कहा, “हम लोग यदुकुल समाज के लिए नए संगठन की घोषणा कर रहे हैं जिसका नाम ‘यदुकुल पुनर्जागरण मिशन’ होगा। यह संगठन सारे OBC समाज के लोगों के हितों का प्रतिनिधित्व करेगा। यह सिर्फ यादव समाज के लिए नहीं बनाया गया है।”

उन्होंने कहा, “यह राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, मध्य प्रदेश, छत्तीसढ़, झारखंड, बिहार राज्यों के लिए बना है। यह संगठन यादव समाज के अन्य संगठनों के प्रतिद्वंद्विता में नहीं है। इसके 10 उद्देश्य हैं जिसमें से एक सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर क़ानून बनवाना होगा।”

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