UP के दो ‘बाहुबली’ भाई चुनाव में आजमाना चाहते हैं किस्मत, जानिए किससे है टिकट की उम्मीद

लखनऊ. राजनीति में एक शब्द बहुत सुनने को मिलता है, बाहुबली, बाहुबली सांसद, बाहुबली विधायक यानी ऐसे नेता जो अपने क्षेत्र में अपनी दबंग इमेज के लिए जाने जाते हैं. इसी कड़ी में चंद्रभद्र सिंह ‘सोनू’ और यशभद्र सिंह ‘मोनू’ उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर जिले में दो ऐसे नाम है जिनकी तूती बोलती है. जिले में कोई भी अपराध हो इनका नाम उसमें आना तय है. कहते हैं कि सुल्तानपुर में सोनू-मोनू के दुश्मन तो बहुत हैं लेकिन कोई ऐसा नहीं है जो सीधे टक्कर ले सके. यशभद्र सिंह उर्फ ‘मोनू’ ने न्यूज 18 से बातचीत में खुलासा करते हुए बताया कि 2022 के विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर इसौली सीट से लड़ने की तैयारी है. उन्होंने बताया कि बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती जी से मिलकर मुलाकात की है. जहां मायावती ने टिकट देने का पूर्ण आश्वासन दिया हैं.

बाहुबली पूर्व विधायक यशभद्र सिंह उर्फ ‘मोनू’ने बताया कि जिला पंचायत चुनाव के दौरान बीजेपी से टिकट मांगा था, लेकिन किसी कारण वश टिकट नहीं मिल पाया था. वहीं मोनू के बड़े भाई चंद्रभद्र सिंह ‘सोनू’ किस पार्टी से चुनाव लड़ेंगे इसका सस्पेंस बरकरार है. मोनू कहते हैं कि भईया अभी 6 दिन पहले ही जेल से छूटे है. लेकिन चुनाव जरूर लड़ेंगे.

उन्होंने कहा कि सुल्तानपुर सदर सीट से बड़े भाई चंद्रभद्र सिंह ‘सोनू’ चुनाव लड़ सकते हैं. सोनू बसपा से विधायक रहे हैं. किस पार्टी से सीधी टक्कर मानते है. इस सवाल पर मोनू ने कहा कि बीजेपी तो जीत नहीं पाएगी, हमारी टक्कर समाजवादी पार्टी से रहेगी.

सुलतानपुर की सदर और इसौली सीट पर नजर
बता दें कि यशभद्र सिंह उर्फ मोनू 19 मुकदमों में आरोपी है. लेकिन दोनों भाईयों की हनक इलाके में देखने को मिलती है, लेकिन इनके शौक भी निराले हैं. मसलन इनके पास 9 गाड़ियां हैं जिनका नंबर UP 44 AH 0001. सुलतानपुर जिले में सोनू-मोनू के विरोधी भले ही हों, लेकिन बाहुबल के पैमाने पर कोई उनसे सीधे टकराने की स्थिति में नहीं है. शायद यही कारण है कि जिले में कभी गैंगवार की स्थिति नहीं बनी. वैसे तो सुलतानपुर में पांच विधानसभा सीटें हैं, लेकिन सबकी नजर सबसे चर्चित इसौली सीट और सुलतानपुर सदर पर है.

संत ज्ञानेश्वर की हत्या के बाद इलाके में बढ़ा दबदबा 
संत ज्ञानेश्वर ने 1996 में पूर्व विधायक इन्द्रभद्र सिंह की हत्या कराई थी. मोनू व सोनू ने 2006 में पिता की हत्या का बदला लेने के लिए संत ज्ञानेश्वर की हत्या करा दी. दुश्मनी का रंग गाढ़ा होने के साथ ही सोनू और मोनू का इलाके में दबदबा भी बढ़ा. हत्या, हत्या के प्रयास, बलवा, गैंगस्टर और गुंडा एक्ट जैसे करीब 19 मुकदमे मोनू पर दर्ज हुए थे.

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