सेब की धुआंधार बिक्री बता रही है कि जम्मू कश्मीर से प्रतिबंधों का लगभग ‘द एंड’ हो चुका है

पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा खत्म करते हुए घाटी में कुछ प्रतिबंध लगाए थे । इन प्रतिबंधों में बाहरी लोगों का आगमन भी शामिल था । आतंकी खतरे को देखते हुए पर्यटकों के जम्मू-कश्मीर में प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी । यही नहीं जो पर्यटक उस वक्त जम्मू-कश्मीर में मौजूद थे, उन्हें भी तुरंत वहां से वापस जाने के निर्देश जारी कर दिए गए थे । हालांकि ये सभी प्रतिबंध हटा दिए गए हैं । पर्यटक अब बेझिझक घाटी में घूम सकेंगे । हालांकि कश्मीर में अभी भी कई इलाकों में मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं पर रोक जारी है ।

जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक (Satya Pal Malik) ने सोमवार को सुरक्षा समीक्षा बैठक के बाद पर्यटकों के प्रवेश पर प्रतिबंध हटाने का फैसला किया था । दो महीने से अधिक समय तक लगे प्रतिबंध में अब ढील दी गई है । इस छूट का फायदा ज्यादातर जम्मू के लोगों को मिल रहा था । इसके साथ ही सोमवार को राज्यपाल ने सोमवार को सेब की खरीद में प्रगति से भी अवगत कराया था, जो 850 टन और 3.25 करोड़ रुपये के पार हो गया है । उन्होंने कहा कि सेब की दरों में कुछ बदलाव किए जा रहे हैं, जो जल्द ही घोषित किए जाएंगे ।

रोज़ाना बैठक कर रहे हैं राज्यपाल

गौरतलब है कि कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटने के बाद से ही राज्यपाल रोज़ाना बैठक कर रहे हैं ।प्रवक्ता ने कहा कि राज्यपाल 5 अगस्त से शाम 6 बजे से 8 बजे तक रोजाना दो घंटे के लिए स्थिति-सह-सुरक्षा समीक्षा बैठकें कर रहे हैं । बैठक में शुरू में संवैधानिक बदलावों के मद्देनजर प्रतिबंध लगाने के बाद सुरक्षा परिदृश्य की समीक्षा पर ध्यान केंद्रित किया गया । प्रवक्ता ने कहा कि स्थिति और सुरक्षा समीक्षा बैठकों में अतीत में लिए गए कुछ प्रमुख फैसलों में उच्च माध्यमिक विद्यालयों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को फिर से खोलना, सार्वजनिक परिवहन को फिर से शुरू करना और अतिरिक्त यात्रा काउंटर खोलना शामिल हैं ।

प्रशासन ने लिए थे ये कदम

बता दें कि सरकार ने ‘आतंकी खतरे की खुफिया सूचना’ का हवाला देते हुए अमरनाथ यात्रा को भी बीच में रोक दिया था । इसके बाद से किसी को भी घाटी में रुकने की इजाजत नहीं दी गई थी । इस कदम के तीन दिनों के भीतर केंद्र सरकार ने संसद में आर्टिकल 370 को रद्द करने का फैसला कर लिया था । इसी के साथ दो केंद्र शासित प्रदेशों का भी ऐलान किया था । किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए सरकार ने घाटी में सभी फोन लाइन और मोबाइल सेवाओं पर भी रोक लगा दी थी । इस दौरान राज्य के काफी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था और किसी भी बवाल से बचने के लिए अतिरिक्त सैनिकों को तैनात किया था ।

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