बरेली : आज से पितृपक्ष चालू, लेकिन कोरोनावायरस के कारण नहीं हो पा रही अस्थियां विसर्जित

आज से पितृपक्ष चालू हो गए हैं लोग अपने पूर्वजों को याद करके इनका श्राद्ध करते हैं। लेकिन कोरोना बीमारी के चलते बहुत सारे परिवार वाले अपने प्रियजनों का अस्थि विसर्जन तक नहीं कर पाए हैं। साथ ही साथ बरेली के श्मशान घाट में 200 से ज्यादा अस्थियां अभी भी अपनों का इंतजार कर रही हैं कि कोई उनका अपना आए और उनको मुक्ति दिलाए।

मोक्ष यानी दुनिया से मुक्ति . . . । मान्यता है कि अंतिम संस्कार के बाद अस्थियां नदी में प्रवाहित होने पर ही मृत आत्मा को मोक्ष मिलता है । लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए पूरे हिंदुस्तान में जरूरी लॉकडाउन लगा दिया गया था और मोक्ष का रास्ता बताई जाने वाली यह रस्म भी बंद हो गयी थी,जिसके कारण जिनकी भी मौत हुई थी अंतिम संस्कार के बाद परिजनों ने उनकी अस्थियां श्मशान घाट की कोठरी में रखवा दी हैं। और आज से पितृपक्ष चालू हो गए हैं लेकिन अभी भी इन अस्थियों को मुक्ति के लिए अपनों का इंतजार है।

बरेली की सिटी श्मशान भूमि में टंगे मटके महज मटके नहीं है बल्कि यह उन लोगों की अस्थियां हैं जिन्हें उनके अपने का इंतज़ार है लेकिन कोरोना वायरस ने इनके इंतेज़ार को बढ़ा दिया है। अब आज से पितृपक्ष चालू हो गए हैं तो बहुत से ऐसे परिवार वाले हैं जिनको अपने प्रियजनों की याद आने लगी है। ऐसे लोग सिटी शमशान भूमि से अपने प्रिय जनों की हस्तियां लेने आ रहे हैं। तो वही अधिकांश ऐसी हस्तियां अभी भी टंगी हुई है जिनको कोई पूछने वाला नहीं है। यहां सैकड़ों की संख्या में अस्थियां विसर्जन के इंतजार में लटकी पड़ी है । श्मशान भूमि के केयरटेकर पंडित त्रिलोकीनाथ ने बताया अगर इन अस्थियों को लेने कोई परिवार वाला नहीं आता है तो ट्रस्ट इन सभी अस्थियों का विसर्जन करा देगा

इसके अलावा अब न तो अंतिम यात्रा और न ही चिता के आसपास अपनों की भीड़ है । सिटी श्मशान भूमि में स्थित एक कोठरी में करीब 200 से ज्यादा अस्थि कलश रखे हैं । परिजन दीवार पर कोयले से नाम लिखकर चले गए । अब बस इन अस्थियों को अपनों का इंतजार है। ताकि जल्द से जल्द उनकी आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति हो सके।

जमशेद खान, बरेली

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