कनाडा सरकार की तरफ से तीन हजार भारतीय छात्रों को मिला झटका

छात्रों को कनाडा के ओंटेरियो में स्थित नॉदर्न कॉलेज ने सितंबर सत्र में दाखिला देने से इनकार कर दिया। विद्यार्थियों ने बताया कि कॉलेज ने उन्हें अगस्त के शुरुआती दिनों में मेल से यह जानकारी दी थी।

भारतीय विद्यार्थियों को कनाडा ने सितंबर सत्र के लिए अपना प्रवेश कैंसल करके बड़ा झटका दिया है। अब इन विद्यार्थियों को जनवरी सत्र में बुलाने का निर्णय लिया गया है। कनाडा के फैसले से लगभग तीन हजार छात्रों की चिंता बढ़ी, क्योंकि वे पूरी तरह से तैयार हो चुके थे। कुछ लोगों ने कनाडा में किराए पर घर भी लिया है और जाने के टिकट भी खरीद लिए हैं। तीन हजार विद्यार्थियों में से अधिकांश पंजाब से हैं।

इन छात्रों को कनाडा के ओंटेरियो में स्थित नॉदर्न कॉलेज ने सितंबर सत्र में दाखिला देने से इनकार कर दिया। विद्यार्थियों ने बताया कि कॉलेज ने उन्हें अगस्त के शुरुआती दिनों में मेल के माध्यम से यह जानकारी दी थी, लेकिन इससे पहले वे टिकट और अन्य आवश्यक सामान खरीद चुके थे।

वर्ल्ड सिख ऑर्गेनाइजेशन ऑफ कनाडा ने कॉलेज द्वारा अचानक एडमिशन रोकने की प्रक्रिया को गलत बताया। इसके लिए उन्होंने विश्वविद्यालय को पत्र भी लिखा। जबकि छात्रों के माता-पिता कॉलेज को पत्र लिखकर उन्हें सितंबर सत्र से ही एडमिशन देने की अपील कर रहे हैं। उन्हें बताया गया कि जनवरी सत्र के लिए उन्हें फिर से डॉक्यूमेंट्स की जांच करनी होगी।

इससे पहले ऐसा नहीं हुआ था। भारतीय विद्यार्थियों को इससे पहले भी निर्वासन का सामना करना पड़ा है। दरअसल, फेक डॉक्यूमेंट के कारण लगभग 7000 भारतीय विद्यार्थियों को कनाडा सरकार ने वापस जाने का नोटिस दिया था।

कनाडा में भारतीय विद्यार्थियों का निर्वासन तेजी से बढ़ता जा रहा है। छात्र भी ट्रैवेल एजेंट को इसके लिए जिम्मेदार मानते हैं। अब विद्यार्थी सड़कों पर उतरकर इसका विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कनाडा की विश्वविद्यालयों और विश्वविद्यालयों पर भी फेक ऑफर पत्रों के माध्यम से विद्यार्थियों को प्रवेश देने का आरोप लगाया है।

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