कपाट बंद होने की प्रक्रिया आज से, चार दिन में कैसे सिलसिलेवार बंद होगा धाम?

चमोली. उत्तराखंड में चल रही चार धाम यात्रा में से अंतिम धाम बद्रीनाथ के कपाट शीतकाल के लिए 20 नवंबर को बंद होंगे, लेकिन इसकी प्रक्रिया आज यानी 16 नवंबर से शुरू हो जाएगी. वास्तव में यह एक प्रक्रिया है क्योंकि मान्यता के अनुसार पूजा पाठ का काम नारद भगवान को सौंपा जाता है. आज भगवान गणेश की पूजा अर्चना के बाद उनके कपाट बंद होंगे और पंच पूजाएं शुरू हो जाएंगी. इसी तरह अगले चार दिन तक सिलसिलेवार ढंग से धाम के कपाट बंद होंगे. 20 नवंबर की शाम के बाद भगवान बद्री विशाल आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी सहित उद्धव जी, कुबेर जी के साथ कूच करेंगे और फिर उनके दर्शन पांडुकेश्वर में होंगे.

कैसे एक के बाद एक बंद होंगे कपाट
16 नवंबर — भगवान गणेश के कपाट बंद किए जाएंगे
17 नवंबर — आदि केदारेश्वर जी के कपाट बंद होंगे
18 नवंबर — खड्ग पुस्तक पूजन होगा यानी इसके बाद धाम में वेद मंत्रोच्चार बंद होगा
19 नवंबर — मां लक्ष्मी की पूजा और आह्वान होगा
20 नवंबर — शाम 6:45 बजे बद्रीनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो जाएंगे
21 नवंबर — बद्री विशाल पांडुकेश्वर के लिए प्रस्थान करेंगे और वहां स्थापित होंगे
22 नवंबर — शंकराचार्य की गद्दी और नृसिंह मंदिर जोशीमठ पहुंच जाएंगे और यहां शीतकालीन पूजाएं शुरू हो जाएंगी

करीब 5 लाख से ज़्यादा ने किए दर्शन
केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट इस महीने के पहले सप्ताह में ही बंद हो चुके हैं. बद्रीनाथ धाम के कपाट होने के बाद यह यात्रा इस साल के लिए संपन्न हो जाएगी. इस साल चार धाम यात्रा कोविड संक्रमण से जुड़ी पर्याप्त व्यवस्थाएं न हो पाने के चलते देर से शुरू हो सकी थी. देर से शुरू होने और फिर अतिवृष्टि के कारण आई बाधााओं के चलते अपेक्षाकृत कम श्रद्धालु ही पहुंचे. खबरों की मानें तो चारों धामों में 4 लाख 95 हज़ार से ज़्यादा श्रद्धालु पहुंचे और बद्रीनाथ में 1.80 लाख से ज़्यादा.

आज से सिर्फ भोग और अभिषेक होगा
मान्यता के अनुसार आज से कपाट बंद किए जाने का जो सिलसिला शुरू होगा, तो उसके बाद पंचांग पूजा बंद हो जाएगी. बद्रीनाथ धाम के पुरोहित आचार्य नरेश आनंद नौटियाल के हवाले से एक खबर में कहा गया कि आज से ​केवल भोग और अभिषेक की रीतियां ही होंगी. सामान्य दिनों में पुस्तकों से होने वाली पूजा अर्चना नहीं होगी क्योंकि मान्यता के अनुसार आज से इसका प्रभार नारद जी को सौंप दिया जाएगा. इधर, बद्रीनाथ का मौसम अच्छा बना हुआ है. हल्की धूप के बीच ठंडी हवाएं यात्रियों को सुहावने प्राकृतिक दृश्य भी दे रही हैं.

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