नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने राजभवन कूच पर पुलिस ने किया लाठीचार्ज

नए कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ देशभर से अब किसान दिल्ली के टिगरी और सिंघु बॉर्डर पर जमा होने लगे हैं। बिहार के किसान भी अब दिल्ली में जमा होने लगे हैं। बिहार के अलग-अलग जिलों से किसान नए कृषि कानून के विरोध में दिल्ली के लिए कूच कर रहे हैं। 

इसी के चलते मंगलवार को पटना में राजभवन की ओर किसानों ने मार्च किया। किसानों के संगठन अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और अन्य लेफ्ट संगठनों के सदस्यों ने राजभवन के लिए इस मार्च का आयोजित किया है।

सरकार से होगी 30 को फिर वार्ता 

इससे पहले 33 दिनों से किसान टिकरी बॉर्डर (Tikri Border) पर आंदोलन कर रहें किसानों की ओर से जारी गतिरोध खत्म करने के लिए सरकार बुधवार को होने वाली बातचीत में एमएसपी पर नया फार्मूला पेश करने वाली थी लेकिन अब यह बातचीत 30 को होगी। इस मुद्दे पर गृहमंत्री अमित शाह ने किसानों से बात करने वाले तीनों केंद्रीय मंत्रियों के साथ सोमवार को वार्ता की रणनीति तैयार कर ली थी। बताया जा रहा है कि सरकार किसानों के साथ होने वाली वार्ता के मौके को जाने नहीं देना चाहती।

सरकार का अनुमान है कि किसान संगठन तीनों कानूनों की वापसी और एमएसपी को कानूनी बनाने संबंधी मांग पर अड़े रहेंगे। सरकार अब किसान संगठनों की इस रणनीति के जवाब में एमएसपी को लेकर नया फार्मूला लाएगी।

किसान और मजबूती से हुए खड़े 

साथ ही जिस तरह से किसानों को समर्थन मिलता जा रहा है उसे देखते हुए कहना जरूरी है कि अब किसान एक दृढ़ उद्देश्य, पूरी एकता और संयुक्त रणनीति के साथ केंद्र सरकार से अपनी मांग मनवाने की तैयारी में हैं। संयुक्त किसान संघर्ष समिति ने सोमवार को कई बड़े फैसले किए हैं। जिनका आंदोलन के मंच से ऐलान भी किया गया।

कहा गया कि सिंघू बॉर्डर से मिले दिशा निर्देशों के हिसाब से ही यूपी गेट का धरना भी संचालित होगा। किसान संगठन का कोई नेता अपनी मर्जी से मंच साझा नहीं कर सकेगा। समिति सदस्य जगतार सिंह बाजवा ने मंच से कहा कि किसी भी किसान संगठन का कोई नेता या वक्ता अपनी राय मंच से साझा नहीं करेगा। ऐसा करने पर न सिर्फ उसे रोका जाएगा, बल्कि आगे से उसके मंच से बोलने पर पाबंदी लगा दी जाएगी। वह चाहे कितने बड़े संगठन का कितना ही बड़ा वक्ता या नेता क्यों न हो।

किसानों का है स्वागत 

बढ़ते किसानों को लेकर संयुक्त किसान समिति सदस्य जगतार सिंह बाजवा ने यूपी गेट बॉर्डर पर आंदोलन के मंच से साफ किया गया है कि अब किसी भी सक्रिय राजनेता की मंच पर एंट्री पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगी। कोई आना चाहे उसका स्वागत है, लेकिन वह मंच के सामने किसानों के बीच बैठकर कृषि कानूनों को लेकर विरोध और किसान आंदोलन को समर्थन दे सकता है।

वहीं किसानों ने ये भी साफ कर दिया है कि 30 तारीख को होने वाली वार्ता में भी अगर उनकी मांगे केंद्र सरकार द्वारा नहीं मानी गईं तो वो नए साल में आने वाले सभी त्योहार भी परिवार के साथ दिल्ली बॉर्डर पर ही मनाएंगे।

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