करियर की तैयारी से ज्यादा जरूरी चरित्र निर्माण

18 हजार से ज्यादा टीचर और पेरेंट्स स्टूडेंट्स की सफलता के मूलमंत्र पर एकमत

बीते डेढ़ वर्ष हमारी पूरी शिक्षा प्रणाली के लिए एक नई परीक्षा की तरह थे। सिर्फ बच्चे ही नहीं, शिक्षक और अभिभावक भी इस दौर से कई नई चीजें सीखकर निकले हैं। टीचर्स और पेरेंट्स के लिए बच्चों की शारीरिक फिटनेस अब ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है। करियर के बजाय चरित्र निर्माण और विनम्रता भी ज्यादा जरूरी लग रही है। पेरेंट्स टीचर्स से बच्चों को बेहतर नागरिक बनाने की अपेक्षा रखते हैं।

1. सबसे पहले जानते हैं … क्या है शिक्षकों की राय

43.2% टीचर्स ने कहा- बच्चों ने तेजी से ऑनलाइन सिस्टम सीखा, पेरेंट्स को भी सिखाया, ये बात चकित करती है। 39.3% टीचर्स ने कहा कि पिछले डेढ़ वर्ष में आशंकाओं और भय से खुद ही लड़ने की बच्चों की क्षमता ने चौंकाया। 17.5% टीचर्स ने कहा कि ई-लर्निंग के पूर्व अनुभव के बिना बच्चों का बेहतर परिणाम देना चौंकाता है।72.4% शिक्षक चाहते हैं बच्चों से दोस्ताना संबंध, ताकि छात्र हर अच्छी-बुरी बात उनसे बेझिझक शेयर करें। सर्वे में शामिल 10.9% टीचर्स ने पेरेंट्स से हर बात शेयर करना जरूरी माना। 9.2% टीचर्स ने कहा कि शिक्षक को नरम और परवाह करने वाला होना चाहिए, जबकि 7.4% ने कहा कि टीचर सख्त होना चाहिए।

57% टीचर्स बोले- बच्चों में मोबाइल के साथ अकेलेपन को एन्जॉय करने की बढ़ती प्रवृत्ति से चिंतित। 20% शिक्षक बच्चों में छोटी उम्र से ही करियर की चिंता को खतरनाक मानते हैं। 20.5% ने कहा-बच्चों में धैर्य की कमी चिंतित करती है। 3.7% ने कहा कि ज्यादा कमाई को सफलता मानने की प्रवृत्ति खतरनाक है।71.9% टीचर्स ने कहा-उन्हें सम्मान तो बहुत मिलता है, मगर उसके अनुरूप सैलरी अभी नहीं मिलती है। भास्कर के सर्वे में शामिल सभी शिक्षकों ने माना कि उनका वेतन कम है। 28.1% टीचर्स ने कहा कि उन्हें भी डॉक्टर्स, इंजीनियर्स या बाकी प्रोफेशनल्स की तरह अच्छी सैलरी मिलनी चाहिए।35.4% टीचर्स ने कहा कि शिक्षकों के लिए चाइल्ड साइकोलॉजी का कोर्स अनिवार्य होना चाहिए। 26.7% टीचर्स चाहते हैं कि विशेषज्ञता के कोर्स हर वर्ष करवाए जाएं। 28.5% का मत है कि हर दो साल पर टीचर्स का स्किल टेस्ट हो और इसे इंसेंटिव से जोड़ा जाए। 9.3% चाहते हैं कि बीएड के लिए कॉमन नेशनल टेस्ट हो।45.3% टीचर्स ने कहा- अगर दूसरा मौका मिला तो भी शिक्षक का पेशा ही चुनना पसंद करेंगे। 27.9% टीचर्स को अगर दोबारा मौका मिले तो वे आईएएस बनना चाहेंगे। 20% शिक्षक दोबारा पेशा चुनने का मौका मिले तो अपना कोई व्यवसाय करना चाहेंगे, जबकि 6.8% डॉक्टर या इंजीनियर बनना चाहेंगे।58.9% टीचर्स ने कहा-कमजोर रहे बच्चे को सफल होता देख शिक्षक के तौर पर पूर्णता का अहसास होता है। 33.1% टीचर्स ने कहा-अपने स्कूल के पूर्व छात्रों की नजर में सम्मान देख उन्हें बतौर शिक्षक पूर्णता महसूस होती है। जबकि 7.9% शिक्षकों ने कहा कि स्कूल की तरक्की में अपना योगदान महसूस कर खुशी मिलती है।41% अभिभावक बोले- टीचर्स पर बच्चों का भरोसा सबसे अनमोल। 25.8% टीचर्स चाहते हैं कि उनके छात्र आगे चलकर बतौर शिक्षक करियर बनाएं।

2. जानिए उन सवालों के जवाब जो टीचर्स और पेरेंट्स, दोनों से पूछे गए

53.6% शिक्षक और 47.9% पेरेंट्स बोले- बच्चे की सफलता के लिए सबसे जरूरी चरित्र, विनम्रता व एकाग्रता के गुण 13.2% शिक्षक और 21% पेरेंट्स करियर पर फोकस को जरूरी मानते हैं। 31% पेरेंट्स और 33.2% टीचर्स ने कहा, घर-स्कूल, सुख-दुख, जीवन के हर पहलू से बच्चों का सीखना जरूरी है।55.5% पेरेंट्स और 65.8% टीचर्स का मत- अब स्कूल खुलें तो फिजिकल फिटनेस से जुड़ी एक्टिविटीज बढ़ाई जाएं 20.8% टीचर्स व 27.2% पेरेंट्स बोले कि कोरोना पूर्व रूटीन ठीक था। 11.3% पेरेंट्स व 9.5% टीचर मानते हैं कि हर 2 पीरियड के बाद ब्रेक हो। 4% टीचर व 6% पेरेंट्स बोले-स्कूल का समय घटे।34.6%पेरेंट्स बच्चों के लिए सिविल सर्विसेज को मानते हैं बेहतर करियर, जबकि 26.1% टीचर्स चाहते हैं एआई में बढ़ें बच्चे सर्वाधिक 35% पेरेंट्स अभी भी बच्चों के लिए सिविल सर्विसेज को बेहतर करियर मानते हैं। जबकि 26.1% शिक्षक मानते हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस में करियर के विकल्प बेहतर हैं। ऐसा सोचने वाले पेरेंट्स 18% हैं।

3. अब समझते हैं कि… क्या चाहते हैं पेरेंट्स

71.5% अभिभावक चाहते हैं कि टीचर्स उनके बच्चों को एक बेहतर नागरिक बनने के लिए प्रेरित करें। 21.5% पेरेंट्स चाहते हैं कि शिक्षक बच्चे को प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करवा दें। 6.1% पेरेंट्स चाहते हैं कि एक्स्ट्रा करिकुलर कम ,पढ़ाई ज्यादा हो। 0.9% पेरेंट्स ही चाहते हैं कि टीचर उनके बच्चे पर अतिरिक्त ध्यान दे।28.9% पेरेंट्स बोले- बच्चे डेढ़ साल घर पर रहे तो लगा कि उनके लिए गिफ्ट से ज्यादा जरूरी साथ में समय बिताना है।28% को पिछले डेढ़ साल में पता चला कि बच्चों का आत्मनियंत्रण बड़ों से कम नहीं। 27.8% ने बच्चों की कई खूबियां पहली बार देखीं। 15.3% ने कहा, बच्चे दादा-दादी से ज्यादा जुड़े जो कि उन्हें टीचर्स ने सिखाया था।61.4% अभिभावकों ने कहा- जब तक हर बच्चे और टीचर को वैक्सीन न लग जाए, तब तक स्कूल न खोले जाएं। मौजूदा हालात में स्कूल खोलने के सवाल पर भी पेरेंट्स का बहुमत वैक्सीनेशन पूरा होने तक स्कूल बंद रखने के साथ है। हालांकि 38.6% अभिभावक ऐसे भी हैं जिनका मानना है कि स्कूल तुरंत खोले जाने चाहिए।

42.5% अभिभावक बोले- डेढ़ वर्ष में बच्चों ने परिवार और पेरेंट्स की चुनौतियों को बेहतर तरीके से समझा है। 28.1% पेरेंट्स ने माना कि डेढ़ वर्ष में दोस्तों से न मिल पाने से बच्चे चिड़चिड़े हुए। 19% ने कहा कि बच्चों की आदतें बदली हैं, स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हुए। 10.4% ने कहा कि बचत-पैसों का महत्व बच्चों को समझ में आया।92% पेरेंट्स बोले- बिना परीक्षा लिए बोर्ड के नतीजे अब न जारी किए जाएं, प्रतियोगी क्षमता कम होती है। ज्यादातर पेरेंट्स का मत है कि बिना परीक्षा के असेसमेंट का मॉडल सिर्फ कोरोनाकाल में विशेष परिस्थितियों में ही ठीक था। हालांकि 8% पेरेंट्स मानते हैं कि बिना परीक्षा असेसमेंट से बच्चों पर दबाव कम होता है।47.8% अभिभावकों का मानना है कि जीवन की असल व्यावहारिक सीख शिक्षक ही बच्चों को देते हैं 41% पेरेंट्स मानते हैं कि टीचर्स पर बच्चों का भरोसा सबसे अहम और अनमोल है। जबकि 11.8% ने कहा कि स्कूल बंद थे, फिर भी टीचर्स बच्चों को पढ़ाने घर तक आए, यह समर्पण बहुत बड़ा है।67.5% पेरेंट्स मानते हैं कि गैजेट्स के आदी हो चुके बच्चों को सुधारने के लिए सबसे अहम स्व-अनुशासन ही है। 18.9% पेरेंट्स मानते हैं कि स्मार्टफोन बच्चों को सीमित समय के लिए दिया जाए। 11.9% मानते हैं कि 8वीं तक स्मार्टफोन न दिया जाए। 1.7% कहते हैं कि मोबाइल की आदत छुड़ाने के लिए डेटा प्लान घटा दिया जाए।

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