आसाराम पर लिखी किताब मामले को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग से रेप के मामले में जेल में बंद आसाराम बापू पर लिखी किताब पर अंतरिम रोक लगाने के ट्रायल कोर्ट के फैसले को निरस्त करने के हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी है। जस्टिस एएम खानविलकर ने याचिकाकर्ता से हाईकोर्ट जाने की सलाह दी।
याचिका आसाराम बापू की सहयोगी संचिता गुप्ता ने दायर की थी। सुनवाई के दौरान संचिता गुप्ता की ओर से वकील देवदत्त कामत ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के आदेश को निरस्त कर हाईकोर्ट ने गलती की है। इस किताब से उनके मुवक्किल की प्रतिष्ठा खराब हो रही है। किताब में लिखा गया है कि संचिता गुप्ता आसाराम के लिए लड़कियां मुहैया कराने का काम करती थी। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्या आपने ये दलीलें हाईकोर्ट में रखी थीं, तब कामत ने कहा कि हमने ये दलीलें रखी थीं लेकिन हाईकोर्ट ने इसे आदेश में नोट नहीं किया। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसके लिए आप हाईकोर्ट जाइए।
पिछले 22 सितम्बर को आसाराम बापू पर लिखी किताब पर अंतरिम रोक लगाने के ट्रायल कोर्ट के फैसले को निरस्त करते हुए जस्टिस नाजिम वजीरी ने कहा था कि इस किताब की कुछ प्रतियां बिक चुकी हैं और उसमें इस बात का स्पष्टीकरण दिया गया है कि वो ट्रायल कोर्ट के फैसले पर आधारित है और उसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की जा चुकी है।
आसाराम पर लिखी किताब का नाम है ‘गनिंग फॉर द गॉडमैन-द ट्रू स्टोरी बिहाइंड आसाराम बापू कंविक्शन’ । इस किताब की रिलीज पर अंतरिम रोक लगाने के ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ किताब के प्रकाशक हार्पर कॉलिंस ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि ट्रायल कोर्ट ने किताब की रिलीज पर रोक लगाकर संविधान की धारा 19 का उल्लंघन किया है।
ट्रायल कोर्ट में याचिका रेप मामले के सह-आरोपित संचिता गुप्ता ने दायर की थी। याचिकाकर्ता की ओर से वकील विजय अग्रवाल और नमन जोशी ने कोर्ट को बताया कि किताब को सच्ची घटनाओं पर आधारित होने का दावा किया गया है लेकिन यह ट्रायल कोर्ट के रिकॉर्ड से मेल नहीं खाती है । याचिका में कहा गया था कि इस किताब से संचिता गुप्ता की अपील पर असर पड़ने की आशंका है। संचिता गुप्ता ने ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट में अपील की जो लंबित है। हाईकोर्ट सजा को निलंबित करने का आदेश दे चुका है।
इस किताब को अजय पाल लांबा ने लिखा है। अजय पाल लांबा फिलहाल जयपुर में अतिरिक्त पुलिस आयुक्त हैं। उन्होंने आसाराम की गिरफ्तारी करने वाली टीम की अगुवाई की थी। इस किताब के सह-लेखक संजीव माथुर हैं। अप्रैल 2018 में जोधपुर की स्पेशल कोर्ट ने आसाराम को एक नाबालिग से रेप का दोषी पाया था। आसाराम को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी और एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था। इस मामले में सह-आरोपित संचिता गुप्ता उसी हॉस्टल की वॉर्डन थी, जहां नाबालिग 2013 से रह रही थी।

Related Articles

Back to top button