राजनैतिक भविष्य देखते हुए बदल रहे पार्टी, जिले में दिग्गज नेताओं ने छोड़ी बसपा का साथ

विधानसभा चुनाव में बसपा को जिले में करना पड़ सकता है चुनौतियों का सामना

लखनऊ: जनपद आजमगढ़ में बसपा पर खतरा मंडराता नजर आ रहा है। लगातार बसपा नेताओं का पार्टी से मोहभंग हो रहा है। 2017 के विधानसभा चुनाव में आजमगढ़ जिले के चार सीटों पर चुनाव जीतने वाली बसपा के पास वर्तमान में एक मात्र आजाद अरिमर्दन विधायक बचे हैं। पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़ने वाले नेता भी लगातार अपने राजनीतिक भविष्य को देखते हुए दूसरे दलों की तरफ रूख कर रहे हैं। ऐसे में आने वाले विधानसभा चुनाव में बसपा को जिले में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

बसपा का दामन छोड़ चुके जिले में बसपा से मोहभंग होने वाले नेताओं में दीदारगंज विधानसभा से विधायक रहे सुखदेव राजभर का नाम सबसे पहले आता है। हाल ही में सुखदेव राजभर का निधन हो गया। निधन से पूर्व अपने बेटे के साथ सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव से सुखदेव राजभर ने कहा था कि अपने बेटे को सौंपते हैं। जबकि सुखदेव राजभर बसपा के संस्थापक सदस्यों में से थे, बसपा ने सुखदेव राजभर का विधानसभा का अध्यक्ष भी बनाया था। बसपा से दो बार लगातार विधायक रहे शाह आलम उर्फ गुड्‌डू जमाली जो कि नेता विधानमंडल दल भी रहे ने भी बसपा का दामन छोड़ दिया। वहीं सगड़ी विधानसभा से बसपा विधायक वंदना सिंह ने भी हाल ही में बसपा छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। जिले की अतरौलिया विधानसभा सीट से 2017 के चुनाव में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले बाहुबली अखंड प्रताप सिंह की पत्नी पूर्व ब्लाक प्रमुख वंदना सिंह ने निषाद पार्टी में शामिल हो गई। ऐसे में आने वाले विधानसभा चुनाव में बसपा को जिले में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। वहीं कांग्रेस पार्टी के मंडल प्रवक्ता ने कहा कि बसपा सुप्रीमो ने टिकट को पैसे से लेने की परंपरा शुरू की। डॉ. भीमराव अंबेडकर और कांशीराम के सपनों को हाथी के नीचे कुचल दिया बल्कि उनके सपनों को मिट्टी में मिला दिया।

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