दुश्मन बने समधी, एक समय पर दोनों एक दूसरे को देखना भी पसंद नहीं करते थे!

दोस्ती को रिश्तेदारी में बदलना तो आपने कई दफा सुना होगा लेकिन राजनीत के गलियारे में दुस्मनी भी रिश्तेदारी में बदली है, जी हां एक समय पर एक दूसरे की निंदा करने

दोस्ती को रिश्तेदारी में बदलना तो आपने कई दफा सुना होगा लेकिन राजनीत के गलियारे में दुस्मनी भी रिश्तेदारी में बदली है, जी हां एक समय पर एक दूसरे की निंदा करने वाली दोनों नेता वर्तमान में समधी है, लाल टोपी वाले मुलायम सिंह यादव और बिहारी बाबू लालू प्रसाद यादव. आइए आपको इनके राजनेतिक रिश्तेदारी का एक किस्सा सुनाते है , साल था 1996 उस साल के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार हुई थी , बीजेपी के खाते में 161 सीटें आई थी उस साल अटल बिहारी वाजपेई जी ने प्रधान मंत्री पद स्वीकार लिया लेकिन मात्र 13 दिन बाद ही सरकार गिर गई , फिर नज़र गई वीपी सिंह पर लेकिन उन्होंने प्रधानमंत्री पद स्वीकार करने से साफ मना कर दिया और वो चाहते थे कि ज्योति बसु प्रधान मंत्री बने लेकिन उनकी पार्टी CPM ने साफ इंकार कर दिया,

फिर चर्चा में आए देश के दो यादव लालू , लालू प्रसाद यादव और मुलायम सिंह यादव परन्तु लालू के नाम की आग धीरे धीरेे  बूझ गई।  वजह थी चारा घोटाले में लालू का नाम आना, वहीं दूसरी तरफ मुलायम सिंह यादव पे ऐसे कोई आरोप नहीं थे. मुलायम यादव का प्रधान मंत्री बनना तय था सारी तैयारियां भी हो गई थी , सुबह 8 बजे शपत ग्रहण समहरो था , बस देर थी तो मुलायम सिंह यादव पे नाम पे सारे नेताओ की आम सहमति हस्ताक्षर की, कई नेताओ ने हस्ताक्षर किए लेकिन आखिरी मे जा के यादव ने ही यादव को धोलजा दे दिया , वो नाम थे लालू प्रसाद यादव और शरद यादव की , मुलायम के ऊपर लिखी गई एक किताब में लिखा गया है , की आखिरी समय पर लालू पलट गए कहा की अगर मुलायम सिंह प्रधान मंत्री बने तो मे ज़हर खा लूंगी , हालाकि बाद में जा के लालू यादव इं सभी बातों से इंकार कर दिए थे । और फ़िर उसे साल प्रधान मंत्री पद मिला एचडी देवोगोड़ा को , कैबिनेट में मुलायम सिंह यादव को रक्षा मंत्री की जिम्मेवारी सौंपी गई , हालाकि ये सरकार भी ज़्यादा समय तक नहीं चल पाई , ये किस्सा बीता, कई नए किस्से आए, मुलायम सिंह यादव यूपी में राज कर रहे थे तो वहीं लालू प्रसाद यादव बिहार मे लेकिन एक दूसरे पे तंज कसना कभी बंद नहीं हुआ और फिर साल 2014 ये राजनेतिक दुस्मानी पारिवारिक रिश्तेदारी मे बदल गई और 2014 में लालू प्रसाद यादव परिवार समेत मुलायम सिंह यादव के घर अपनी बेटी के नाम का शगुन ले के पहुचे और मुलायम सिंंह यादव और लालू प्रसाद यादव एक दूसरे के समधी बन गए।

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