किसानों के रेल रोको आंदोलन का कोयला सप्‍लाई पर असर, नहीं पहुंचा 2 लाख टन कोयला

नई दिल्‍ली. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Kheri Violence) में पिछले दिनों हुई हिंसा को लेकर 18 अक्‍टूबर को संयुक्त किसान मोर्चा के छह घंटे के रेल रोको आंदोलन (Rail Roko Andolan) का असर देश के पावर प्‍लांट में कोयला सप्‍लाई (Coal Supply) पर भी पड़ा. सोमवार को किसान अपना विरोध जताने के लिए कई स्थानों पर पटरियों पर बैठ गए थे, जिससे पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में ट्रेन यातायात बाधित हो गया था.

किसानों के इस आंदोलन के कारण मालगाडि़यों का यातायात भी प्रभावित हुआ था. जानकारी के अनुसार इस दौरान 46 मालगाडि़यों में लदा करीब 2 लाख टन कोयला विभिन्‍न पावर प्‍लांट में नहीं पहुंच पाया. बता दें कि देश के कई पावर प्‍लांट में पहले से ही कोयले की कमी की बात सामने आ चुकी है.रिपोर्ट के अनुसार सूत्रों का कहना है कि इस 2 लाख टन कोयले से करीब 32.2 करोड़ यूनिट बिजली बन सकती थी, जो पंजाब जैसे राज्‍यों की 2 दिन की ऊर्जा जरूरत को पूरी कर सकती थी.

अफसरों का कहना है कि यह ऐसे समय में हुआ है जब देश के पावर प्‍लांट्स को बिजली उत्‍पादन करने के लिए अधिक कोयले की जरूरत है. सोमवार को हुए किसानों के प्रदर्शन का उत्तर रेलवे जोन में 150 स्थानों पर असर पड़ा था और 60 ट्रेनों की आवाजाही बाधित हुई थी, जिससे यात्रियों को असुविधा हुई और उन्हें अपने सामान के साथ लंबे वक्त तक इंतजार करते हुए देखा गया.

इस दौरान उत्तर पश्चिम रेलवे (एनडब्ल्यूआर) के राजस्थान और हरियाणा में कुछ हिस्सों में रेल यातायात बाधित रहा था. 18 ट्रेनों को रद्द कर दिया गया था और 10 ट्रेनों को आंशिक रूप से रद्द किया गया और एक ट्रेन का मार्ग बदला गया था. पंजाब के लुधियाना, अमृतसर, जालंधर, मोगा, पटियाला और फिरोजपुर तथा हरियाणा के चरखी दादरी, सोनीपत, कुरुक्षेत्र, जींद, करनाल और हिसार में प्रदर्शन हुए थे. उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के कार्यकर्ताओं ने रेलवे पटरियों पर धरना देकर अमृतसर-दिल्ली और जालंधर एक्सप्रेस रोक दी थी.

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