बालासोर ट्रेन हादसे के बाद लोग नज़र आए डीएनए के सहारे

बालासोर ट्रेन हादसे में जान गंवाने वालों की संख्या सबसे अधिक पाई गई है। लोगों के शव अभी भी यहां के विभिन्न अस्पतालों में मार्चरी में पड़े हैं। शव की पहचान नहीं हो सकी तो भुवनेश्वर स्थित एम्स ने शव की पहचान के लिए अपने रिश्तेदारों की तलाश कर रहे लोगों के डीएनए नमूने लेने शुरू कर दिए हैं। अब तक मरने वालों की संख्या 288 है जिनमें से 205 लोगों की पहचान करी ली गिई‌ है।

सूचना के मुताबिक एम्स के अधिकारी ने बताया कि शवों की पहचान का दावा करने वालों मैं से अब तक 10 लोगों के डीएनए के नमूने मिल गए हैं। शवों को अब तक पांच कंटेनर ओं में भेज दिया गया है जहां उन्हें अब लंबे समय तक सुरक्षित रखा जाएगा।

ट्रेन हादसे में कोरमंगला एक्सप्रेस से बरामद करीब 40 शवों पर किसी तरह की चोट का निशान नहीं पाया गया है। आशंका जताई जा रही हैकि उनकी मौत करंट लगने से हुई है। राजकीय रेलवे पुलिस उप निरीक्षक की कुमार नायक ने कहा कि कई यात्रियों की मौत चोट लगने और ऊपर से जा रहे तारों के संपर्क में आ जाने से करंट लगने की वजह से हुई है। बताया जा रहा है कि दुर्घटना के बाद डिब्बों के पलटने से बिजली के खंभे गिर पड़े जिससे ऊपर से जा रहे तार टूट गए

दुर्घटना में पश्चिम बंगाल के विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया है, कि ट्रेन हादसे में घायलों के परिजनों को बुधवार को नेताजी इनडोर स्टेडियम में आने पर मजबूर किया गया है। सीएम ममता बनर्जी वहां भाषण देने वाली हैं। ममता वहां घायलों और मृतकों के परिजनों को सेट शॉपिंग ही इस कारण उन्हें आने पर मजबूर किया गया है।

वहीं दूसरी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मंगलवार को दुर्घटनाग्रस्त कोरोमंडल एक्सप्रेस की घायल यात्रियों से मिलने पहुंची। घायल लोगों का कटक के विभिन्न अस्पतालों में इलाज किया जा रहा है। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि वह चाहती हैं कि हादसे के पीछे की सच्चाई सामने आए। उनके मुताबिक एसएसबी मेडिकल कॉलेज में पश्चिम बंगाल के 57 घायल यात्री हैं। जिनमें कुछ के हाथ पैर नहीं है तो कुछ की आंखों की रोशनी चली गई।

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