बच्चों की शादी नहीं होती इसलिए चुनाव का बहिष्कार:70 साल में न सड़क बनी और न अस्पताल,

ग्रामीण बोले- सड़क नहीं तो वोट नहीं

राजस्थान में होने वाले उपचुनाव जहां एक तरफ सरकार के नेता बड़े-बड़े वादे कर रहे हैं, वहीं एक गांव ने सभी वादों की पोल खोलकर रख दी है। लोग इतने परेशान हैं कि मतदान का बहिष्कार करने का निर्णय कर चुके हैं। परेशानी भी ऐसी कि बच्चों की शादी का संकट खड़ा हो गया है।

ये हालात हैं धमानिया ग्राम पंचायत से 3 किलोमीटर दी बणजारी गांव की। यहां आज भी पक्की सड़क नहीं है। लोगों को करीब 2 किलोमीटर कच्ची और गड्‌ढों वाली सड़क से आना जाना पड़ता है। अस्पताल भी नहीं है। यहां शादी करने आने वाले लोग मुकर जाते हैं, क्योंकि सड़क खराब है। ऐसी स्थिति में बेटी का रहना भी मुश्किल हो जाएगी। ऐसे में भास्कर इस गांव में पहुंचा। यहां के लोगों से उनकी पीड़ा को जाना।

हमारी टीम के पहुंचने पर गांव के चौराहे पर जमा हुए ग्रामीण।

दरअसल, धामनिया और तारावट होते हुए आगे जाने के लिए सड़क पक्की है। मगर इस रोड से 2 किमी अंदर बसे 700 लोगों की आबादी वाले गांव में सड़क कच्ची है। ग्रामीण बताते हैं पिछले 3 दशकों से हर चुनाव हमारे यहां वोट मांगने आने वाले नेताओं से सड़क बनवाने की मांग करते हैं। चुनावी माहौल में नेता उचित आश्वासन दे देते हैं, मगर बाद में गांव की समस्या पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता।

गांव के ही रहने वाले पन्नालाल जटिया बताते हैं कि गांव में सड़क नहीं होने से आम दिनों में तो परेशानी कम होती है। बारिश के दिनों में सड़क पर कीचड़ ज्यादा होने से वाहनों का आवागमन बंद हो जाता और पैदल चलना भी बेहद मुश्किल होता है। हालत और ज्यादा खराब हो जाती है, जब मरीजों को अस्पताल पहुंचाना पड़ता है।

गांव के अलग-अलग मोहल्ले में जाने के लिए भी कच्ची सड़क है।

स्थानीय युवा हितेश प्रजापत बताते हैं कि वल्लभनगर में कई प्राइवेट स्कूलों की बस गांव में नहीं आती है, क्योंकि सड़क खस्ताहाल है। सर्दी हो या बारिश बच्चों को दो किलोमीटर का सफर तय कर मुख्य सड़क तक पहुंचना ही पड़ता है। धूल-मिट्टी उड़ने से बुजुर्गों में पैदल चलते वक्त दमा-सांस का खतरा रहता है।

गांव के ही रहने वाले निर्भय सिंह राजपूत बताते हैं कि हर चुनाव के बाद हम अपने आप को ठगा महसूस करते हैं। 70 साल बाद भी हमारे गांव को पक्की सड़क तक नहीं मिली है। हमारे यहां कई बार बच्चों की सगाई करने में भी लोग हिचकिचाते हैं। सगाई के लिए गांव में पहुंचने वाले लोग सड़क के हालात को देखते हुए बेटी देने से मुकर जाते हैं। कहते हैं जिस गांव में सड़क नहीं है तो लोगों का जीवन स्तर कितना अजीब होगा

मतदान बहिष्कार की चेतावनी देते पोस्टर लेकर खड़े ग्रामीण।

‘सड़क नहीं तो वोट नहीं’ का पोस्टर लेकर खड़े ग्रामीणों के साथ मौजूद जगदीश प्रजापत कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि यहां के ग्रामीण किसी नेता से नहीं मिले। भाजपा हो, कांग्रेस हो या जनता सेना जीते हुए विधायक के पास भी गए। मगर वहां से मिला तो सिर्फ और सिर्फ जल्द इस पर कुछ काम करवाने का आश्वासन। 2013 के बाद रणधीर सिंह भींडर ने जरूर हमारे लिए कई बार लड़ाई लड़ी। सरकार तक बात पहुंचाई।

मुख्य तौर पर इस गांव में 3 जाति निवास करती है। प्रमुख तौर पर जटिया (SC) और राजपूत समुदाय के लोग हैं। इसके अलावा प्रजापत (कुम्हार) और डांगी जाति के लोग भी रहते हैं। गांव के 65% किसान हैं, जो खेती कर अपना गुजारा करते हैं। वहीं 35 % सरकारी कर्मचारी और अन्य व्यापार कर अपना जीवनयापन करते हैं।

गांव में प्राथमिक विद्यालय है, जहां करीब 85 बच्चों का नामांकन है। इसके अलावा बड़ी कक्षाओं के लिए उन्हें पास के तारावट और धमनिया का रुख करना पड़ता है। गांव की महिलाओं का मानना है कि गांव में हर घर के बाहर सड़क नहीं हो, मगर चौराहे तक तो सड़क बनाई जा सकती है। हमारे गांव के स्कूल या बिजली विभाग के ऑफिस में कोई कर्मचारी यहां काम करना पसंद नहीं करता

सड़क नहीं होने से नालियों का निर्माण भी नहीं हो सका है।

जिले के प्रभारी बोले- पक्की सड़क नहीं होना बेहद आश्चर्य का विषय
इस मामले पर ध्यान दिलाए जाने पर उदयपुर जिले के प्रभारी मंत्री प्रतापसिंह कहते हैं कि किसी गांव में मुख्य सड़क का पक्का नहीं होना बेहद आश्चर्य का विषय है। चुनाव के निपटने के बाद प्राथमिकता से इस सड़क को बनवाने की कोशिश रहेगी। जनता को वोट का बहिष्कार नहीं करना चाहिए। लोकतंत्र में एक-एक की भागीदारी है।

अधिकारी बोले- समझाने की कोशिश की थी
उपनिर्वाचन अधिकारी (SDM) श्रवण सिंह ने बताया कि ग्रामीणों ने कुछ दिन पहले सड़क की मांग को लेकर मतदान बहिष्कार की चेतावनी दी थी। इसके बाद स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी ने ग्रामीणों से बातचीत कर समझाइश का प्रयास किया। वैसे इस क्षेत्र में लगभग हर गांव में मुख्य सड़क है। बणजारी के मसले पर PWD के संबंधित अधिकारियों को भी कहा है। मैं खुद अपने स्तर पर गांव में जाकर ग्रामीणों से बातचीत करूंगा। उन्होंने भी ग्रामीणों से मतदान करने की अपील की है।

विधायक बोले- जमीन को लेकर कंफ्यूजन
वहीं पूर्व विधायक रणधीर सिंह भींडर का कहना है कि असल में बनजारी में गांव की आबंटन जमीन को लेकर दशकों से कंफ्यूजन चला आ रहा था। पिछली बार भी विधानसभा में मुद्दा उठाकर चरनोट भूमि को आबादी में बदलवाया। अब आबादी में आने के बाद जल्द सड़क बन सकती है। कहीं प्रशासनिक दिक्कत नहीं आएगी।

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